ज्यादा मोटापा एक रोग ही नहीं, बल्कि जान का दुश्मन होता है। हृदय रोग, मधुमेह पित्त की थैली में पथरी, श्वास कष्ट, हड्डियों के जोड़ों में खासकर कुल्हों एवं घुटनों के जोड़ों में बदलाव इत्यादि रोग मोटे लोगों को शीघ्र ही अपनी चपेट में ले लेते हैं। मोटे पुरुषों में कोलन, रेक्टम, प्रोस्टेट इत्यादि के कैंसर से ग्रसित हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। मोटी स्त्रियों के गर्भाशय तथा डिम्बाशय के कैंसर एवं स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापे की जांच करने के लिए यदि कमर की नाप कूल्हों की नाप से ज्यादा हो गई हो (पुरुषों में) एवं स्त्रियों में यदि कमर एवं कुल्हे की नाप का असर 85% से ज्यादा हो। साथ ही दोनों का वजन, लम्बाई एवं उम्र के हिसाब से 20% अधिक हो, तो इस स्थिति को हम ‘मोटापा’ ही कहेंगे।
मोटापे के कारण
• मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक कारणोंवश, बार-बार खाने की आदतके कारण। दिमाग के हायपोथेलेमिक भाग की गड़बड़ी की वजह से
• ऊर्जा को कम खर्च करना – ऊर्जा खर्च करने की आवश्यकता हो न हो। – उपापचय क्षमता बढ़ गई हैं। – शारीरिक श्रम न करने के कारण
• हारमोनों के असंतुलन की वजह से।
• वंशानुगत कारणों से।
भूख से ज्यादा खाने पर भी वजन बढ़ता है। थायराइट ग्रंथि के कम स्राव एवं अण्ड ग्रंथियों के स्राव में कमी एवं निष्क्रियता की वजह से भी मोटापा बढ़ता है।
मोटापे से होने वाली जटिलताएं
• फेफड़ों संबंधी – ० पिकवियन नामक सिंड्रोम ० श्वास तंत्र में संक्रमण।
• हृदय संबंधी – ० उच्च रक्तदाब ० कोरोनरी धमनी की बीमारी ० दिल का दौरा।
• हारमोन्स एवं उपापचय संबंधी -० मधुमेह ० मासिक स्राव न होना (स्त्रियों में) ० यकृत में वसा बढ़ जाना (फैटी लिवर) ० स्त्रियों में दाढ़ी एवं मूंछ उग आना।
• पेट एवं आंत संबंधी -० अपच पित्ताशय की सूजन एवं पथरी० मानसिक परेशानियां एवं सामाजिक परेशानियां भी हो सकती हैं (यथा कुंठा व्यक्तित्व का विकास न हो पाना समाज में हँसी का पात्र बनना आदि)।
• अन्य – ० त्वचा संबंधी रोग० नसों में खिंचाव० गभावस्था में दौरे पड़ना ० शरीर में विष फैल जाना ० जोड़ों की बीमारियां।
मोटापे को दूर करने के उपाय
1. मरीज को वजन कम करने के वास्ते मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार करना एवं उचित चिकित्सकीय सलाह देना।
2. मरीज को यह अहसास दिलाना कि वह वास्तव में वजन कम कर सकता है।
3. खान-पान पर नियंत्रण, बार-बार खाने की आदत छोड़ना, शरीर के लिए आवश्यक कैलोरी से अधिक भोजन न करना।
4. श्रम करना आवश्यक है। शारीरिक श्रम के प्रति मरीज में रुचि जागृत करना।
औसत शारीरिक भार 58 किग्रा. वजन के पुरुष अथवा महिला के लिए भोजन तालिकाकुल कैलोरी – 1800 से 2300
प्रोटीन – 58 ग्राम, कैल्शियम – 0.08 ग्राम, लोहा (आयरन) -12 मिग्रा, विटामिन ए-5000 यूनिट, विटामिन बी-1-1 मिग्रा., विटामिन बी-2-1.5 मिग्रा, विटामिन सी-70 मिग्रा।
सुबह का भोजन : दूध-200 मिग्रा, रोटी-1-2 पीस, मक्खन-0.5 ग्राम, अण्डा या पनीर 40 ग्राम, चाय-1 कप, (चीनी कम)।
दिन का अल्पाहार : फल-एक, (औसत वजन का), चपाती 3-4, दाल – एक कटोरी, सब्जी – एक कटोरी, तेल या धी – एक चाय चम्मच, दही-50 ग्राम, सलाद-गाजर, मूली, टमाटर, हरी मिर्च।
शाम का अल्पाहार : चाय-1 कप (कम चीनी), बिस्कुट-2
रात्रि भोजन : चपाती-2, दाल-1 कटोरी, सब्जी-1 कटोरी, हरा सलाद-50 ग्राम तक, तेल या घी 1/2 से 1 चाय चम्मच।
रात में सोते समय : दूध – एक कप, मोटापाग्रस्त लोगों को चीनी, गुड़, शहद, आलू, अरवी, शकरकंद, आम, शरीफा, अंगूर, केला, भैस का दूध, सोडावाटर आदि से परहेज रखना चाहिए।
मोटापा घटाने के लिए व्यायाम
व्यायाम हृदय के स्वास्थ्य, शरीर के लचीलेपन, शक्ति प्राप्त करने, हड्डियों की मजबूती, आंतरिक अंगों के ठीक से काम करने, मांसपेशियों की अच्छी हालत और वजन नियंत्रित रखने में सहायक होते हैं। नियमित व्यायाम से तनाव घटता है और रक्तचाप कम होता है। यदि एरोबिक व्यायाम (संगीत की धुनों पर लयबद्ध तरीके से थिरकना) संभव न हो, तो दूर तक तेज-तेज टहलना एक उम्दा व्यायाम है। तैरना भी एक अच्छा व्यायाम है। यदि घर से बाहर निकल पाना महिलाओं के लिए संभव न हो, तो घर में ही कुछ व्यायाम किए जा सकते हैं। रस्सी कूदना एक बेहतरीन व्यायाम है, वजन कम करने के लिए इसी प्रकार कई आसन जैसे हलासन एवं पश्चिमोत्तानासन नियमित विधिपूर्वक करने से आशातीत लाभ होता है।
मोटापा कम करने का होमियोपैथिक उपचार
समान लक्षणों के आधार पर निम्न होमियोपैथिक दवाओं के सेवन से विशेष एवं शीघ्र फायदा होता है –
कैल्केरियाकार्ब : गोरे रंग की मोटी स्त्री, मासिक स्राव अधिक मात्रा में, चक्कर आना, पेट के चारों ओर (कमर) कोई कपड़े का कसाव बर्दाश्त न कर पाना, शारीरिक एवं मानसिक थकान महसूस होना (जरा-सा काम करने पर ही), ठण्ड में परेशानी बढ़ना, शुष्क मौसम में बेहतरी महसूस करने पर 200 शक्ति की दवा की कुछ खुराक लेनी चाहिए।
ग्रेफाइटिस : इसकी महिला भी मोटी एवं गोरे रंग की होती है, किन्तु मासिक ऋतु स्राव कम होता है, मासिक के समय, जुकाम, खांसी हो जाती है, कमर में दर्द रहता है, मैथुन इच्छा पूर्णतया समाप्त हो जाती है, गर्मी से एवं रात में परेशानी बढ़ना, स्तनों, अंगूठों एवं गुदा में हलके घाव हो सकते हैं, अंधकार में अधिक बेहतर होने पर पहले कुछ खुराक 30 शक्ति में एवं तत्पश्चात् 200 शक्ति में कारगर है।
फाइटोलक्का : स्तनों में अत्यधिक कठोरता, दर्द, मासिक स्राव को पहले और उसके दौरान अधिक परेशानी, स्तनों में गांठ एवं घाव, मासिक स्राव अनियमित, स्तनों में दूध का अधिक स्राव एवं कमर और जांघों पर अधिक चबीं हो, आराम करने से एवं शुष्क मौसम में बेहतर अनुभव होता हो, तो 3 × शक्ति में 2-3 खुराक रोज सेवन करने से मोटापा दूर करने में विशेष लाभ होता है।
पल्सेटिला : जो स्त्री – पुरुष सांवले हों, मोटे हों, स्त्रियों को मासिक स्राव कम हो, कमर दर्द, थकान, मासिक स्राव के दौरान दस्त रहना, अपनी परेशानी बताते हुए ही रो पड़ना और सांत्वना मिलने पर चुप हो जाना, तली वस्तुएं खाने के बाद एवं गर्मी में परेशानी बढ़ना, जीभ सूखी पर प्यास नहीं, खुली हवा में राहत महसूस करना आदि लक्षणों के आधार पर पल्सेटिला 200 शक्ति में देनी चाहिए।
थायरोइडिनम : अगर हारमोन के असंतुलन की वजह से मोटापा परेशानी का कारण बन जाए तो 3 × शक्ति में तीन खुराक कुछ दिन तक प्रयोग करनी चाहिए।
फ्यूकस वेसिक्युलोसिस : अगर मोटापे के साथ कब्ज का रोग हो, तो दवा के मूल अर्क (मदरटिंचर) की 10-10 बूंदें दिन में तीन बार, खाना खाने से पहले लेनी चाहिए। इस दवा से मोटापा तेजी के साथ घटता है।
एमोन ब्रोम : मोटापे के साथ यदि रोगी अथवा रोगिणी के सिर में भी दर्द हो, तो इसका प्रयोग 1 × अथवा 2 × शक्ति में करना चाहिए।
इन सब दवाओं के साथ ही बायोकेमिक औषधियां, ‘कैल्केरिया फॉस’ 12 x, ‘साइलेशिया’ 12 x,’ कालीफॉस’ 6 x, ‘नेट्रमम्यूर’ 6 x, कालीम्यूर 6 x दवाओं की (सभी की) एक एक गोली रोजाना तीन बार सादे पानी से लेनी चाहिए। एक माह तक उक्त बायोकेमिक दवाओं का सेवन करने के बाद ‘कैल्केरिया फॉस’ 12 x दवा बंद करके शेष दवाएं वजन घटने तक लेते रहना चाहिए। दवाओं एवं व्यायाम के साथ-साथ समय-समय पर वजन भी लेते रहना चाहिए। ऐसा न हो कि वजन घटाने के चक्कर में आप कमजोर व पतले-दुबले ही हो जाएं।