प्रकृति – तर व गर्म। खाने से पहले आम को ठण्डे पानी में या फ्रिज में रखना चाहिए। इससे आम की गर्मी निकल जाती है। आम को दूध में मिलाकर या इसे खाने के बाद ऊपर से दूध पीने से आम बहुत लाभ करता है। यह वीर्य की दुर्बलता को दूर करता है, वीर्य बढ़ाता है। दो-तीन माह तक शाम को अमरस पीने से मर्दाना ताकत आती है, शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है। वात संस्थान (Nervous system) और कामशक्ति को उतेजना मिलती है। शरीर मोटा हो जाता है।
आम का पापड़ भी बनता है। अमरस को सुखाकर पापड़ बनाया जाता है। जब आम नहीं हो तब आम का पापड़ खाकर आम का स्वाद लिया जा सकता है। आम का पापड़ एक बार में चौथाई भाग, अल्प मात्रा में खायें। इसके पापड़ में विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ मिलता है। आम का पापड़ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
शुक्रवर्धक – पके आम का रस, मिश्री, इलायची, लौंग, अदरक स्वादानुसार मिलाकर पीने से शुक्राणु बढ़ते हैं। विटामिन ‘ए’ की कमी से शुष्कनेत्रप्रदाह (xerophthalmia) अर्थात् अॉखों का लाल होना और खुजलाना, रतौंधी (Night Blindness) और छूत के रोगों से बचने की रोग-प्रतिरोधक शक्ति घटती है। आम में सभी फलों से अधिक विटामिन ‘ए’ होता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ‘बी’ और विटामिन ‘सी’ भी अधिक होता है। एक आदमी को नित्य 5000 अन्तर्राष्ट्रीय इकाई विटामिन ‘ए’ चाहिए जो केवल 100 ग्राम आम में मिलता है। रतौंधी में चूसने वाला आम लाभ करता है।
झुर्रियाँ – जब तक आम मिलता रहे, एक गिलास अमरस पीते रहने से चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं पड़ती और झुर्रियाँ हों तो मिट जाती हैं।
हृदय रोगी अमरस में आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर पियें।
दस्त – (1) आम की गुठली, बेलगिरी और मिश्री समान मात्रा में पीसकर दो-दो चम्मच नित्य तीन बार पानी के साथ फंकी लेने से दस्त ठीक हो जाते हैं। गर्मी के मौसम के दस्तों में अधिक लाभ होता है। (2) आम की सिकी हुई गुठली 50 ग्राम, इसमें स्वादानुसार नमक और चीनी डालकर पीसकर एक चम्मच नित्य तीन बार पानी के साथ फंकी लें। दस्तों में लाभ होगा। (3) आम की गुठली सेंककर मींगी को दही के साथ पीसकर नाभि पर लेप करने से दस्त बन्द हो जाते हैं। (4) आम की गुठली को पानी में खूब पीसकर नाभि पर गाढ़ा लेप करने से सब प्रकार के दस्त बन्द हो जाते हैं।
कृमि – आम की गुठली का चूर्ण गर्म पानी के साथ चौथाई चम्मच देने से पेट के चुन्ने (कीड़े) मर जाते हैं।
नकसीर – आम की सूखी गुठली में निकलने वाली गिरी पीसकर नित्य तीन बार सुन्घे। नकसीर ठीक हो जायेगी।
पेचिश (Dysentery) – (1) दस्त में रक्त आने पर आम की गुठली पीसकर छाछ में मिलाकर पीने से लाभ होता है। (2) आम के पत्तों को छाया में सुखाकर पीसकर कपड़े में छान लें। नित्य तीन बार आधा-आधा चम्मच की फंकी गर्म पानी से लें। खिचड़ी खायें। आम की गुठली को सेंककर नमक लगाकर प्रतिदिन खाने से दस्त होने पर पेट को ताकत मिलती है। एक-एक गुठली नित्य तीन बार खायें।
मिट्टी खाना – (1) आम की गुठली सेंककर गिरी निकाल लें। यह 50 ग्राम हो। इसमें 25 ग्राम मिश्री, 20 ग्राम सौंफ, पाँच ग्राम छोटी इलायची सबको मिलाकर पीसकर आधा-आधा चम्मच, नित्य तीन बार खिलाने से मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है। (2) बच्चे को मिट्टी खाने की आदत हो तो आम की गुठली ताजा पानी के साथ देना लाभदायक है। गुठली को सेंककर सुपारी की तरह खाने से भी मिट्टी खाना छूट जाता है।
मसूढ़े सूजना – एक चम्मच पिसा हुआ अमचूर एक गिलास पानी में तीन घण्टे भिगोकर इस पानी से कुल्ले करने से मसूढ़ों की सूजन, दर्द ठीक हो जाता है।
एमोबायेसिस – आम की गुठली सेंककर नित्य तीन बार खाने से लाभ होता है।
मंजन – आम के हरे पत्ते सुखाकर जलाकर पीस लें। जितनी यह राख हो उतनी ही आम की गुठली पीसकर दोनों को मिलाकर-मैदा की चलनी में छानकर नित्य मञ्जन करने से दाँत साफ होकर चमकने लगेंगे।
दाँतों की मजबूती – आम के ताजा पत्ते खूब चबाएँ और थूकते जायें। थोड़े दिन के निरन्तर प्रयोग से हिलते दाँत मजबूत हो जायेंगे, मसूढ़ों से रक्त गिरना बन्द हो जायेगा।
बिवाइयाँ – (1) आम की 5 गुठली पीसकर 50 ग्राम मूंगफली के तेल में मिलाकर बिवाइयों पर लगाने से लाभ होता है। (2) बिवाइयाँ हों, तलवे फटते हों तो इन पर आम का छिलका रगड़ें।
यक्ष्मा (T.B.) – एक कप अमरस में साठ ग्राम शहद मिलाकर नित्य सुबह-शाम पियें। नित्य तीन बार गाय का दूध पियें। इस प्रकार 21 दिन करने से यक्ष्मा में लाभ होता है।
मस्तिष्क की कमजोरी – एक कप अमरंस, चौथाई कप दूध, एक चम्मच अदरक का रस, स्वाद के अनुसार चीनी, सब मिलाकर नित्य एक बार पियें। इससे मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है। मस्तिष्क की कमजोरी के कारण पुराना सिरदर्द, आँखों के आगे अँधेरा आना दूर होता है। शरीर स्वस्थ रहता है। यह रक्तशोधक भी है। यह हृदय, यकृत को भी शक्ति देता है।
हैजा – 25 ग्राम आम के नर्म-नर्म पत्ते पीसकर एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर गर्म-गर्म दो बार पिलायें।
बवासीर रक्तस्रावी – आम के कोमल, मुलायम 10 पत्ते पीसकर एक गिलास पानी में घोलें। इसमें स्वादानुसार मिश्री मिला लें। इस तरह पीने से बवासीर से रक्त निकलना बन्द हो जाता है।
दस्त, बवासीर – (1) मीठा अमरस आधा कप, मीठा दहीं 25 ग्राम और एक चम्मच अदरक का रस-सब मिलाकर पियें। ऐसी एक मात्रा नित्य तीन बार पियें। इससे पुराने दस्त, दस्तों में अपच के कण निकलना और बवासीर ठीक होती है। (2) आम की गुठली को पीसकर पानी या छाछ में घोलकर पीने से दस्त बन्द हो जाते हैं। स्वाद के लिए इसमें चीनी मिला सकते हैं। एक बार में एक गुठली लें। बच्चों के लिए आधी गुठली। यह तीन बार लें ।
पेचिश, रक्तस्रावी बवासीर तथा पेशाब में रक्त आता हो, तो आम के नये पत्ते पीसकर पानी में घोलकर पियें।
पाचन-शक्तिवर्धक – (1) जिस आम में रेशे हों वह भारी होता है। रेशेदार आम अधिक सुपाच्य, गुणकारी और कब्ज़ को दूर करने वाला होता है। आम आँतों को शक्तिशाली बनाता है। आम चूसने के बाद दूध पीने से आँतों को बल मिलता है। आम पेट साफ करता है। इसमें पोषक और रेचक दोनों गुण होते हैं। यह यकृत की निर्बलता तथा रक्ताल्पता को ठीक करता है। 70 ग्राम मीठे आम का रस, दो ग्राम सोंठ में मिलाकर प्रात: पीने से पाचन-शक्ति बढ़ती है। (2) सिकी हुई गुठली खाने से आँतों को शक्ति मिलती है, पाचनशक्ति बढ़ती है।
तिल्ली – 70 ग्राम आम का रस, 15 ग्राम शहद में मिलाकर नित्य प्रातः 3 सप्ताह पीने से तिल्ली की सूजन और घाव में लाभ होता है। इस अवधि में खटाई न खायें।
शक्तिवर्धक – आम खाने से रक्त बहुत पैदा होता है। दुबले-पतले लोगों का वजन बढ़ता है। मूत्र खुलकर आता है। शरीर में स्फूर्ति आती है। आम का मुरब्बा भी ले सकते हैं। शक्तिवर्धन हेतु भोजन के बाद लगातार दो महीने आम खायें।
बालकों के लिए शक्तिवर्धक – आम की गुठली के अन्दर निकलने वाली सात गिरी रात को पानी में भिगो दें। प्रातः पीसकर आधा किलो दूध में मिलाकर तेज उबालें। उबलने के बाद उतारकर ठण्डा होने दें। जरा-सी पिसी हुई दालचीनी (दो ग्राम) तथा स्वादानुसार पिसी हुई मिश्री मिलाकर 15 दिन नित्य पीने से बल, बुद्धि बढ़ती है।
सौंदर्यवर्धक – आम का सेवन करने से त्वचा का रंग साफ हो जाता है, रूप में निखार आकर चेहरे की चमक बढ़ती है।
चेहरे के काले दाग, झाँइयाँ – आम और जामुन की गुठली के अन्दर की गिरी समान मात्रा में लेकर, पानी के साथ दोनों को पीसकर चेहरे पर नित्य रात को लेप करें। चेहरे को प्रातः धोयें। दाग, धब्बे, झाँइयाँ ठीक हो जायेंगी।
सूखी खाँसी – पके हुए आम को गर्म राख में दबाकर, भूनकर ठण्डा होने पर चूसें, इससे सूखी खाँसी ठीक हो जाती है।
दमा – आम की गुठली की दो गिरी प्रतिदिन प्रातः खायें या पीसकर ठण्डे पानी के साथ फंकी लें। दमा में लाभ होगा। यह प्रयोग कम-से-कम 15 दिन करें।
पायोरिया – आम की गुठली की गिरी के महीन चूर्ण का मञ्जन करने से पायोरिया एवं दाँतों के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
अण्डवृद्धि – 25 ग्राम आम के पत्ते, दस ग्राम सेंधा नमक, दोनों को पीसकर हल्का सा गर्म करके लेप करने से अण्डवृद्धि ठीक हो जाती है।
हाथ-पैरों में जलन – आम की बौर (फल लगने से पहले निकलने वाले फूल) रगड़ने से जलन मिट जाती है।
मधुमेह-(1) आम और जामुन का रस समान भाग मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है। (2) आम और जामुन की गुठली की गिरी और भुनी हुई छोटी हर्र तीनों समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण की एक चम्मच नित्य दो बार छाछ से फंकी लें। मधुमेह तथा दस्तों में लाभ होगा।
विषैले दंश – चूहा, बन्दर, पागल कुत्ता, मकड़ी का विष, बिच्छू, ततैया आदि के काटने पर आम की गुठली पानी के साथ घिसकर लगाने से दाह, वेदना आदि में आराम मिलता है।
बिच्छू काटना – अमचूर और लहसुन समान मात्रा में पीसकर काटे स्थान पर लगाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है।
सूखा रोग (Marasmus) – एक चम्मच अमचूर को भिगोकर उसमें दो चम्मच शहद मिलाकर बच्चे को नित्य दो बार चटाने से सूखा रोग ठीक हो जाता है।
पथरी – आम के ताजा पत्ते छाया में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम नित्य बासी पानी के साथ प्रातः फंकी लें। रेत कंकरी दूर हो जायेगी।
लू (Sunstroke) – लू लगने पर कैरी (Raw Mango) की छाछ पीने से लाभ होता है। जिस किसी को गर्मी या लू लग जाए, मुँह और जबान सूखने लगे, माथे, हाथ-पैर में पसीना छूटने लगे, दिल घबरा जाए और प्यास ही प्यास लगे तो ऐसी अवस्था में रोगी को कैरी की छाछ निम्न विधि से बनाकर देना चाहिए। एक बड़ी-सी कैरी उबालें या कोयलों की आग के नीचे दबा दें, जब वह बैंगन की तरह काली पड़ जाए तो उसे निकाल लें और ठण्डे पानी में रखकर जले हुए छिलके उतार लें और इसे दही की तरह मथकर इसके गूदे में गुड़, जीरा, धनिया, नमक और कालीमिर्च डालकर इसे अच्छी तरह मथ लें और आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर एक-एक कप दिन में तीन बार पियें, इससे लू में लाभ होगा।
मिरगी – आधा किलो आम के हरे पत्ते लेकर धोकर साफ कर लें तथा उनको कूट-पीसकर लुगदी बना लें। इसे आधा किलो तिलों के तेल में मिलाकर गर्म करें। अच्छी तरह उबालकर पानी जल जाने के बाद इस तेल को ठण्डा करके छान लें। अन्त में लुगदी को निचोड़ लें। इस तेल की शरीर पर मालिश किया करें। इससे मिरगी में लाभ होगा।
उल्टी – आम के दो पत्ते तथा पोदीने की 50 पत्तियाँ पानी में डालकर दोनों को चटनी पीस लें और एक कप पानी में घोलकर छान लें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिलायें। उल्टियाँ तुरन्त बन्द हो जायेंगी।
भाँग का नशा होने पर आम की गुठली को पीसकर पानी में घोलकर पिलायें। नशा उतर जायेगा।
रक्तशोधक – एक कप अमरस में आधा कप दूध, एक चम्मच घी, दो चम्मच अदरक का रस मिलाकर नित्य जब तक आम मिलते रहें, पीते रहें, इससे स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तथा रक्त साफ होगा।
दाद – तीन हिस्सा अमचूर और एक हिस्सा सेंधा नमक पानी में गाढ़ा पीसकर नित्य दाद पर लेप करने से लाभ होता है। पाँवों में बिवाड़याँ हों, तलवे फटते हों तो आम का छिलका रगड़ें।
श्वेत प्रदर – आम के बगर (बौर) को छाया में सुखाकर, पीसकर समान मात्रा में शक्कर मिलाकर दो-दो चम्मच सुबह-शाम ठण्डे पानी के साथ फंकी लें। निरन्तर कुछ दिन लेने से श्वेत प्रदर ठीक हो जायेगा।
हृदय रोग – आम के रस में आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर पियें, लाभ होगा।
पुंसियाँ – अमचूर को पानी में पीसकर लगाने से छोटी-मोटी पुंसियाँ ठीक हो जाती हैं। दाढ़ी पर निकलने वाली पुंसियाँ, नाई की हजामत (Barbers itch) भी ठीक हो जाती हैं।
नपुंसकता – अधिक अमचूर खाने से धातु दुर्बल होकर नपुंसकता आ जाती है।
जलना – (1) आम के पत्तों को जलाकर इसकी भस्म को जले हुए पर बुरकाएँ। जला हुआ ठीक हो जायेगा। (2) आम की गुठली पानी में पीसकर जले हुए स्थान पर लेप करने से शीघ्र आराम मिलता है।
अनिद्रा – रात को आम खायें व दूध पियें। इससे नींद अच्छी आती है।
जलोदर – आम खाने से जलोदर में लाभ होता है। नित्य दो आम तीन बार खायें।
वृक्क की दुर्बलता – आम की बनावट गुर्दे जैसी होती है। नित्य आम खाने से गुर्दे (वृक्क) की दुर्बलता दूर हो जाती है।
सावधानी – भूखं पेट आम नहीं खाना चाहिए। आम कें अधिक सेवन से अग्निमाद्य होता है, रक्तविकार, कब्ज़, पेट में गैस बनती है।