यह स्पेन आदि स्थानों के एक प्रकार के पौधे की जड़ या सोर का टिंचर है। यह साधारणतः छोटी-छोटी सन्धियों – जैसे हाथ की कलाई, अँगुलियों की गांठें, एड़ी इत्यादि में वात के दर्द ( sub acute rheumatic pain of the small joints, especially useful when sour stomach is present अर्थात क्षुद्र सन्धियों के नवीन वात के दर्द में खासकर जब अम्ल का रोग भी हो तो अत्यंत उपयोगी है ) की महौषधि है ; कलाई और अङ्कलियों के जोड़ों में सूजन, दर्द, स्पर्श असहनीय होता है और रात में वृद्धि होती है। वात में प्रायः कोलोफाइलम और एपोसाइनम एड्रोसि के सदृश दवा है।
मुँह की बीमारी – इसमें ऊपरी जबड़े में एक तरह का तेज कष्टदायक दर्द होता है, जो दाँत से आरम्भ होकर गंडास्थि के बीच से होता हुआ कनपटी तक चला जाता है, ऐसे दर्द में इससे फायदा होता है।
वात – इसमें निम्नांग फूल जाता है, दर्द होता है, घुटनो में बहुत कमजोरी मालूम होती है। हाथ में पक्षाघात की तरह कमजोरी और दर्द रहता है फार्मिका रूफा और स्टेलारिया भी वात और गठिया की उत्तम दवा है।
सुस्ती – बोलते, खाते और चलते फिरते काफी सुस्ती महसूस होती है।
पाकस्थली – वमन के साथ तलपेट में शूल का दर्द और उससे श्वासकष्ट पैदा होता है।
सम्बन्ध (Relations) – ऐकोन, कालो, सिमिसि और लिडम के साथ तुलना कीजिए।
शक्ति – 3