एग्राफिस नूटैन्स का होम्योपैथिक उपयोग और लाभ
प्रमुखतया सारे शरीर की ढीली-ढीली अवस्था और ठन्डी हवा के झोंके लगने से सर्दी जुकाम के हो जाने का स्वभाव। शरीर और मन आलस से भरा होना।
प्रतिथ्ययी अवस्थायें नथूने बंद। कंठशालूक (adenoides) के कारण बहरापन। गलतुण्डिकाएँ बढ़ी हुई। सर्दी लगने से श्लेष्मातिसार (Mucous diarrhoea)। ठन्डी हवा से शीतकम्प। गले और कान के रोगों के साथ श्लैष्मिक झिल्लियों से निरंकुश स्राव होने की प्रवृत्ति, बाल्यावस्था का गूंगापन, जिसका बहरेपन से कोई सम्बन्ध नहीं होता।
सम्बन्ध – हाइड्रैस्टिस, सीपा, कैल्केरिया-फास्फो, सल्फ्यूक-आयोड, कैल्केरिया-आयोड से तुलना कीजिए।
मात्रा – तीसरी शक्ति। अर्क की केवल एक मात्रा।