इस रोग में रोगी के मूत्र में एल्बुमेन आने लगता है । इस प्रकार की स्थिति अधिक समय तक बने रहने से शरीर का आंतरिक रूप से क्षय होने लगता है ।
मर्ककॉर 6, 30- मूत्र में एल्बुमेन आने पर लाभप्रद है, खासकर मूत्र में ऐंठन व जलन, गठिया आदि लक्षण भी हों ।
इयोनाइमिन 1x, 6x- यह इस रोग की वहुत अच्छी दवा है । मूत्र एल्बुमेन के साथ बूंद-बूंद करके हो तथा मात्रा में कम हो तो यही दवा देनी चाहिये।
टेरिबिन्थिना 3, 30- मूत्र में जलन, मात्रा में कम हो, कष्ट के साथ आये, रक्त मिला हो, मूत्र का रंग गन्दा व मटमैला हो, शोथ हो- इन सभी लक्षणों में लाभप्रद है ।
काली क्लोरिकम 1x, 3x- मूत्र में एल्बुमेन आना और मूत्र का मात्रा में कम आना- इन लक्षणों में लाभ करती है ।
यूरिया 3, 6– गुर्दे की बीमारी के कारण मूत्र में एल्बुमेन आये, मूत्र मात्रा में अधिक आये, शोथ हो, मूत्र का गुरुत्व अपेक्षाकृत बहुत कम हो तो यह दवा देनी चाहिये ।
सासपैिरिला Q- मूत्र में एल्बुमेन आना, मूत्र-पथरी होना, मूत्र-त्याग के बाद दर्द होना- इन लक्षणों में दें ।
एकाइरैथस एस्पेरा Q, 3x- डॉ० खगेन्द्रनाथ बसु ने लिखा है कि यह दवा किडनी (गुर्दे) की गड़बड़ी के कारण सारे शरीर, विशेषकर उदर, में शोथ होने पर लाभकारी है | अधिक मात्रा में लेने पर गर्भपात हो सकता है अतः गर्भवती स्त्रियाँ इसका सेवन न करें ।