Alfalfa Homeopathic Medicine In Hindi
( अल्फाल्फा होम्योपैथिक दवा के लाभ )
एक तरह का पौधा, जो अमेरिका तथा अन्य स्थानों में भेड़-बकरी आदि के मौलिक पुष्टिकारक आहार के रूप में उपलब्ध होता है; आजकल यह मनुष्यों की बलवर्धक दवा ( tonic ) के रूप में इस्तेमाल होता है। होमियोपैथी में कोई बलकारक दवा ( tonic ) न रहने पर भी इस दवा को एक तरह का बलकारक दवा कहा जा सकता है। सहानुभूतिक स्नायु ( sympathetic nerve ) पर इसकी क्रिया होती है, इसलिए इससे शरीर पुष्ट होता है और शारीरिक क्रियाएँ आसानी और स्वस्थ रूप से होती है। नियमित रूप से अल्फा-अल्फा का सेवन करने पर – भूख और बल दिन-ब-दिन बढ़ता है, कमजोरी दूर होती है, खाना को अच्छी तरह पचाकर क्रमशः शारीरिक और मानसिक तेज़ बढ़ाता है, शरीर में मांस बढ़ता है, वजन बढ़ता है। स्नायविक दुर्बलता, नींद न आना, स्नायु की क्रिया में गड़बड़ी की वजह से पाचन न होना इत्यादि रोगों में इससे फायदा दिखाई देता है।
बहुमूत्र – बिना चीनी का बहुमूत्र किन्तु पेशाब बहुत होना, अर्थात पेशाब में चीनी बिलकुल न होना, पेशाब का आपेक्षिक गुरुत्व ( specific gravity ) घट जाना, बहुत बार साफ पानी की तरह पेशाब होना, प्यास कभी रहना और कभी नहीं रहना। पेशाब में यूरिया, इण्डिकेन और फॉस्फेट बढ़ जाने पर भी अल्फा-अल्फा उपयोगी है।
पेट फूलना – पेट में अधिक वायु होकर पेट फूलना, स्नायुशूल का दर्द ( flatulent colic ), दर्द का एक जगह से दूसरी जगह घूमना फिरना, भोजन के कई घंटे बाद ही ऊपरी पेट में दर्द होना, बार-बार पीले रंग के दस्त आना, पखाने के समय पेट में दर्द होना, मलद्वार में जलन इत्यादि लक्षणों में भी अल्फाल्फा उपयोगी है।
सदृश – जेल्सि, हाइड्रैस्टिस, कैलि फॉस, जिंकम।
क्रम – अल्फाल्फा का मूल अर्क 5 से 10 बून्द की मात्रा में लाभ न होने तक प्रति दिन 3-4 बार, उसके बाद सवेरे-शाम दो बार सेवन करना चाहिए।
डॉ बोरिक की “अल्फाल्फा टॉनिक” नाम की एक तरह की पेटेंट दवा होम्योपैथिक दवाखाने में बिकती है। इसका दिन में दो-तीन बार सेवन करने से स्वाश्य सुधर जाता है।
ऐवेना सैटाइवा ( avena sativa ) – यह दवा ओट ( oat ) वृक्ष से तैयार होती है। यह भी अल्फा-अल्फा की तरह बलवर्धक दवा है और किसी प्रकार की कमजोर करने वाली बीमारी के बाद इसके सेवन से शरीर जल्दी पुष्ट और सबल होता है। इसकी प्रधान क्रिया – समस्त स्नायु और मस्तिष्क पर होती है ; इसलिए मस्तिष्क का काम करने के कारण स्नायविक सुस्ती, रति शक्ति का घट जाना, उद्वेग, नींद न आना इत्यादि में – इससे विशेष फायदा मिलता है। अनजाने में वीर्य निकल जाना, बहुत दिनों तक व्यर्थ वीर्य क्षय के कारण ध्वजभंग ( इम्पोटेन्सी ) और शराब पीने से उत्पन्न स्नायु रोग की यह एक महौषधि है। ऐवेना सेवन करने से अफीम और मर्फिया का अभ्यास छूटता है और किसी भी तरह की हानि नहीं होती ( sterculia – शराब पीने की आदत दूर होती है ); अगर कोई नित्य 5 ग्रेन मार्फिया सेवन करता हो, तो उसे 20 बूँद ऐवेना सैटाइवा Q आध छटांक गरम पानी के साथ नित्य दिन में 2 बार पिला देने से ही पूरा-पूरा काम निकल जाता है। प्रत्येक ग्रेन मार्फिया के लिए 3-4 बूंद गरम पानी के साथ ऐवेना सेवन करना चाहिए। सब तरह की बलवर्धक दवाओं में इसका फायदा स्थाई होता है और सेवन के कुछ ही देर बाद इसकी क्रिया मालूम होने लगती है।