एलर्जी कई तरह की होती है। इनमें देर से होने वाली और पुरानी एलर्जी भी शामिल है। यह थोड़े-से समय में भारी नुकसान पहुँचा सकती है। जो पदार्थ फौरन और गंभीर एलर्जी को जन्म दे सकते हैं, वे हैं –
• विभिन्न प्रकार के प्रोटीन-खाद्य पदार्थों (जैसे, दालें व अण्डा) में मौजूद प्रोटीन भी और बाहरी इस्तेमाल वाले भी।
• एंटी सीरम पदार्थ-जैसे सांप का जहर, टिटनेस, रेबीज आदि।
• हारमोन।
• एंजाइम।
• जहर – मधुमक्खी, बरं (ततैया), बिच्छू, आदि।
• फूलों के रस।
• विभिन्न वनस्पतियां एवं पेड़-पौधे।
• खाद्य पदार्थ – दूध, अण्डा, मछली, गेहूं, मिठाई, दही, वसा, स्ट्राबेरी, चॉकलेट आदि।
• चाय, कॉफी आदि।
• शीतल पेय।
• तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि।
• धूल, धुआं
• सूर्य की रोशनी।
• पालतू जीव जन्तु, यथा- बिजली,कुत्ता आदि ( इनके चमड़े पर विभिन्न कीड़ों के पनपने पर एलजीं के साथ-साथ अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं )।
• काकरोच, छिपकली, आदि को देखने भर से भी एलजीं हो सकती है। ऐसे ही अन्य अनगिनत कारणों से एलर्जी हो सकती है।
एलर्जी का लक्षण
एलर्जी के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं।
त्वचा : लाल पड़ना, खुजली, बड़े बड़े चकत्ते पड़ना, किसी एक अंग में सूजन, काटने जैसे निशान या छेद आदि।
आंखें : लाल पड़ना, सूजन होना, खुजली होना, पानी भर आना आदि।
श्वसन प्रणाली : छीकें आना, नाक में पानी आना, खांसी होना, सांस में तकलीफ होना, सीने में तनाव महसूस होना, दम घुटना, गले में कोई वस्तु फंसे होने जैसा आभास, बातचीत न कर पाना आदि।
पेट व आंतें : उल्टी, दस्त, गले में दर्द।
सामान्य : एलर्जी के सबसे गंभीर प्रकार ‘एनाफाइलेक्ट्रिक शाक’ में चेहरे और शरीर पर सूजन हो जाती है, अचानक छॉकं आने लगती हैं, सिर चकराता है, बेचैनी व थकान महसूस होती है, अनिद्रा, दम घुटना और बेहोशी जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। ये सब लक्षण एक के बाद एक प्रकट होते हैं और यदि आपातकालीन उपाय न किए जाएं, तो मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
एलर्जी का होमियोपैथिक उपचार
कई अंग्रेजी दवाएं एलर्जी वाली होती हैं। इनसे उल्टी, सिर चकराना, दस्त, पेट दर्द, नाक दर्द, नाक बहना, दमा, त्वचा पर खुजली, पित्त उछलना, त्वचा पर गहरे चकत्ते, सिरदर्द और आंखों से पानी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
एक्स-रे में इस्तेमाल होने वाली आयोडीन डाइज, टिटनेस व रेबीज की दवाएं और यहां तक कि मछली का तेल और विटामिन शामिल है।
दमा के कई रोगियों को ब्रूफेन जैसी आधुनिक दर्दनिवारक औषधियों से तकलीफ और बढ़ जाती है। सामान्य व्यक्ति को भी ऐसी औषधियों से तकलीफें हो सकती हैं।
कुछ होम्योपैथिक औषधियों, जैसे ‘सल्फर’, ‘थूजा’, ‘नाइट्रिक एसिड’, ‘आर्सेनिक’ के भी मनमर्जी सेवन करने पर एलर्जी हो सकती है।
यदि किसी गोली या मुंह से ली गई दवा से एलर्जी हुई है तो मरीज को उल्टी करवाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए गले में हाथ डालकर या नमक का पानी पिलाना चाहिए। रोगी को खुले क्षेत्र में रखना चाहिए और करवट से लिटाना चाहिए, ताकि उल्टी वगैरह बाहर निकल सके साथ ही ‘नक्सवोमिका’ औपधि 30 शक्ति में कुछ खुराकें व फिर 200 शक्ति की एक-दो खुराकें देनी चाहिए। ‘कैम्फर’ नामक औषधि भी 30 शक्ति में दी जा सकती है।
रासायनिक पदार्थ : डिटरजेंट पाउडर, क्रीम, हेयर डाई, सौन्दर्य प्रसाधन, चिपकाने वाले पदार्थ, पेट्रोल, ब्लीच, चमड़े की चप्पलें, प्लास्टिक की चीजें, धातु के सिक्कों, गहनों, कीट नाशकों आदि के संपर्क में आने पर भी त्वचा में खुजली, फफोले, त्वचा का रंग लाल पड़ने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसे मामलों में त्वचा को साबुन व पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। प्रभावित स्थान पर ठंडा दूध लगाने या क्रीम लगाने से लाभ हो सकता है।
होमियोपैथिक औषधियों से लक्षणों की समानता के आधार पर अनेकानेक औषधियां प्रभावकारी रहती हैं।
• खाद्य पदार्थों से एलर्जी होने पर ‘आर्सेनिक’ 30 शक्ति में व ‘नक्सवोमिका’ 30 शक्ति में।
• तम्बाकू व धुएं से एलर्जी होने पर ‘इग्नेशिया’ 30 या 200 शक्ति में।
• धूल से एलर्जी होने पर ‘ब्रोमीन’ 30 शक्ति में।
• अत्यधिक छींक आने पर नाक टपकने पर ‘नेट्रमम्यूर’ 200 की एक खुराक व ‘एलियम सीपा’ 30 शक्ति में।
• चेहरा लाल पड़ने पर ‘बेलाडोना’ 30 शक्ति में।
• कीट-पतंगों से एलजीं होने पर ‘एपिस’ 30 शक्ति में।
• शरीर पर पित्ती उछलने पर ‘डल्कामारा’ 30 शक्ति में ।
• सूजन आने पर ‘एपिस’ 30 शक्ति में।
• शरीर पर चकत्ते पड़ने पर ‘आर्टिका यूरेंस’ औषधि मूल अर्क में लें। शैल फिश (एक प्रकार की मछली) खाने से होने वाली एलर्जी में भी यह लाभकारी है।