यह औषधि एक तरह के वृक्ष के टिंचर से तैयार करके बनायी जाती है। इसकी पहचान सारे शरीर में भारी खुजली और गुदगुदाहट से होती है। कुत्ता, सियार इत्यादि के काटने के कुछ दिन बाद जब रोगी पानी या किसी तरह की चमकीली चीज देखकर डर जाता है, उस समय हमलोग कहते हैं कि इसे हाइड्रोफोबिया रोग हुआ है, तो एनागेलिस इस बीमारी की बहुत पुरानी और लाभदायक दवा है। इस अवस्था में रोगी को इसका मदर-टिंचर या पहली से 3री शक्ति का सेवन कराना पड़ता है ( कंधे और हाथ में दर्द, मूत्रनली में उत्तेजना की वजह से रतिक्रिया की इच्छा, पेशाब का छिद्र रुका रहता है और पेशाब में जलन रहती है, कई धाराओं में पेशाब होता है – एनागेलिस इसकी बढ़िया दवा है।
आमवाती और गठिया (gouty) दर्द कन्धों और बांहों में पीड़ा, हाथ के अंगूठे की पोर तथा उंगुलियों में ऐंठन, मूत्रनली में थोड़ा बहुत क्षोभ (irritation) जिसकी वजह से रतिक्रिया की इच्छा, पेशाब का छिद्र बन्द हो जाता है और पेशाब में जलन रहती है। पेशाब कई धाराओं में होता है। किसी स्थान पर कांटा गड़ जाने पर इसके सेवन से कांटा निकल जाता है। हाथों और उंगुलियों में खुजली छाले झुण्ड में निकलते हैं।
सम्बन्ध – प्रसव के बाद फूल अटक जाने की वजह से जरायु से रक्तस्राव होने के साथ ही साथ प्रलाप आदि भी वर्तमान रहते हैं। इस अवस्था में स्ट्रैमोनियम की अपेक्षा सिकेलिस से ज्यादा फायदा होता है। बैलेडोना और कूप्रम के बाद स्ट्रैमोनियम के प्रयोग से बहुत फायदा होता है, खासकर हूपिंग खांसी में।
क्रियानाशक – ऐसेटिक एसिड, बेल, हायो, नक्स, ओपि, पल्स।
मात्रा – 1,3, 30, 200 शक्ति ।