[ Bark of Galipea Cusparia ] – चलने-फिरने में कठिनाई सारे जोड़ों में फड़फड़ाहट आमवाती (rheumatic) तथा पक्षाघाती (Paralytic) रोग। रोगी को कॉफी पीने की इच्छा होना, इस औषधि का प्रमुख लक्षण है। अतिसूक्ष्मग्राही ( oversensitive ) दीर्घास्थियों का क्षय ( caries of long bones )। पक्षाघात हनुस्तभ्भ अथवा धनुर्वात (tetanus), मांसपेशियों तथा संधियों की अकड़न।
मेरु प्रेरक तंत्रिकाओं तथा श्लेष्मकलाओं पर इसकी प्रमुख क्रिया होती है।
पीठ – पीठ में नीचे से ऊपर तक खुजली होती है, गर्दन की कशेरुकाओं (vertebrae) में दर्द होता है। रोगी गर्दन में खिचाव महसूस करता है। रीढ़ की हड्डी, गर्दन के पिछले भाग में तथा त्रिकास्थि में पीड़ा होती है, जो दबाने से बढ़ जाती है पीठ में नीचे से ऊपर तक स्फूरण (twitching) और झटके से लगते हैं, पीठ पीछे की ओर झुक जाती है।
सिर – सिर दर्द के साथ रोगी का चेहरा तपा हुआ रहता है। गालों में तेज दर्द होता है। आनन पेशियों (facial muscles) में खिंचाव रहता है, शंख पेशियों (temporal muscles) में जबड़ा खोलते समय दर्द होता है। हनु-संधियों (articulation of jaw) चवर्णिका पेशियों (Masseter Muscles) में ऐसा दर्द होता है जैसे अधिक चबाने से होता है गाल की चापाकार हड्डी में ऐंठन के साथ दर्द होता है।
उदर – उदरशूल और अतिसार, कूथन (tenesmus) के साथ पाखाना नरम होता है, जीर्णातिसार (chronic diarrhoea) के साथ शरीर में कमजोरी और शारीरिक कृशता मलद्वार में जलन होती है।
आमाशय – रोगी का स्वाद कड़वा हो जाता है। कॉफी पीने की प्रबल इच्छा होती है, नाभि से उरोस्थि (sternum) तक दर्द होता है। रोगी को खांसते खांसते उबकाई आने लगती है।
चर्म – अत्यधिक दर्दनाक व्रण, जो हड्डियों को भी प्रभावित कर देते हैं, क्षय (caries) I
वाह्मांग – चलते समय टांगों में दर्द होता है, बाहें थकी हुई और भारी, दीर्धास्थियों का क्षय (caries long bones) मांसपेशियों तथा सन्धियों में अकड़न और तनाव (tension) हाथ की ऊँगलियां ठण्डी हो जाती है, घुटने में दर्द होता है तथा सन्धियों में कड़कड़ाहट सी होती है।
सम्बन्ध – नक्स, रूटा, मर्क्यूरियस, बूसिया, कुचला की छाल (bark of nux) या एंगुस्टुरा-फालसा की जड़ से इस दवा का तुलना कर सकते हैं।
मात्रा – छठी शक्ति।