ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, इन्फ्लुएंजा और ब्रोंको-न्यूमोनिया में – जहाँ छाती में ऐन्टिम टार्ट की तरह ढीली घड़घड़ाहट की सर्दी, ज्वर और अन्य लक्षणों के साथ बेहद कमजोरी, श्वासकष्ट, छटपटी, प्यास इत्यादि आर्सेनिक के समान कितने ही लक्षण मौजूद हों, वहाँ पहले इस दवा को याद करना चाहिए।
फेफड़े का वायुस्फीति रोग ( in emphysema ) – जिस रोगी को बहुत अधिक श्वासकष्ट, खाँसी, कुछ खाने या सोने पर रोग बढ़ जाता हो, उसके लिए यह प्रयोग होता है।
बाईं ओर के वक्षावरक झिल्ली प्रदाह ( प्लूरिसि ) – जल संचय होने पर तथा आँखों प्रदाह और उसके साथ ही चेहरे की सूजन रहने पर – इससे फायदा होता है।
दमा-खाँसी – छाती में घड़घड़ शब्द करने वाली सर्दी, श्वासकष्ट और ऊपर लिखे कई लक्षण रहने पर इसकी निम्न शक्ति से फायदा होगा।
बाद की दवा – इपिकाक।
सदृश – ब्रायो, सल्फ, लोबेलिया, मर्क, आर्स।
क्रम – 3x, 6x विचूर्ण ; 30 शक्ति भी लाभ होता है।