पेट के दाहिनी ओर के निचले भाग में, जहाँ पर बड़ी और छोटी ऑत होती है। इस ऑत में प्रदाह व दर्द होना ही अपेण्डिसाइटिस कहलाता है। इसमें दाँयी कोख में दर्द, स्पर्श सहन न होना, जकड़न, हाथ से दबाने पर इस भाग का लकड़ी की तरह कठोर होना, तलपेट के दाँये भाग में दर्द, चलने-फिरने पर दर्द बढ़ना आदि लक्षण रहते हैं । यह रोग मल-विकार व विषैली गैस की वजह से होता है ।
रसटॉक्स 6, 30- तलपेट के दाँये भाग में सूजन व कठोरता हो, बैठने पर या दाँया पैर आगे-पीछे करने पर दर्द बढ़ जाता हो, हाथ-पैरों में जलन रहे, करवट से सो नहीं पाये, चित होकर या दाँया पैर उठाकर सोने पर राहत मिले, रात को अत्यधिक पसीना आये तो इसे देना चाहिये ।
जिनसेंग 6x- दाँयी कोख के ऊपरी हिस्से में कॉटा गड़ने की भाँति दर्द, सूजन, पेट में गुड़गुड़ाहट या पानी की ध्वनि, नींद में अंट-शंट बकना आदि लक्षणों में उपयोगी है ।
बेलाडोना 6, 30- दाँयी कोख के ऊपरी भाग में दर्द, पीड़ित स्थान पर स्पर्श सहन न हो जिससे रोगी छूने न दे, यहाँ तक कि कपड़ा या पतली चादर भी न रहने दे, हिलने-डुलने से कष्ट होने के डर के कारण चित्त लेटा रहता हो, कै, मिचली, सिर दर्द, बुखार जो शाम को बढे, पसीना आदि लक्षणों में देनी चाहिये । ज्यादा कष्ट होने पर बेलाडोना Q की 20-25 बूंदें 1 औस ग्लिसरीन में मिलाकर ऑइण्टमेण्ट की तरह पीड़ित स्थान पर लगायें और ऊपर से गरम सेंक करें ।
मर्कसॉल 6x, 30- प्रायः बेलाडोना के बाद प्रयोग की जाती है । बेलाडोना से 24 घण्टे में लाभ न मिलने पर इसे दें । दाँयी कोख के ऊपरी भाग में लाली, सूजन, कड़ापन व गर्मी; चेहरा लाल-सफेद, चमकदार; जीभ सूखी, लाल या सफेद, थुलथुली; कब्ज; कुंथन के साथ ऑव आना; अधिक पसीना आने पर भी आराम न मिलना आदि लक्षणों में देनी चाहिये ।
आइरिस टेनाक्स 30- तलपेट में अपेण्डिक्स वाले स्थान में तीव्र दर्द, वहाँ दबाव सहन न हो, पित्त की वमन, कब्ज, कमजोरी होने पर देनी चाहिये।
हिपर सल्फर 6x, 200– सूजन, दर्द, स्पर्श सहन न हो, बार-बार मलमूत्र का वेग हो, घुटना ऊँचा करके सोने पर दर्द घटे तो इसे दें । यदि मवाद निकालनी हो तो 6x शक्ति का और यदि मवाद सुखानी हो तो 200 शक्ति का प्रयोग करें |
लैकेसिस 30, 200- अपेण्डिक्स वाली जगह पर काँटा चुभने की भाँति दर्द हों, दाँयी कोख के ऊपरी भाग में सूजन हो, कमर से आक्रान्त स्थान तक जकड़न की अनुभूति, कब्जियत, मूत्र में लाल तलछट जमे, कम मात्रा में मूत्र आये, मूत्रकृच्छता की दशा हो, शाम को 3 बजे के लगभग ज्वर आये, रोगी पैर जूषर करकू सोये,सोने के बाद पीड़ा बढ़े तो देनी चाहिये।