परिचय : 1. इसे अर्जुन (संस्कृत), अर्जुनकाहू (हिन्दी), अर्जुन गाछ (बंगाला), अर्जुन सादडा (मराठी), अर्जुन (गुजराती), मरुतै (तमिल), तेल्लमद्दि (तेलुगु) तथा टर्मिनेलिया अर्जुना (लैटिन) कहते हैं।
2. अर्जुन का पेड़ 60-70 फुट ऊँचा होता है। अर्जुन की छाल बाहर से सफेद, चिकनी और अन्दर से कोमल, मोटी तथा लाल रंग की होती है। अर्जुन के पत्ते अमरूद की तरह छोटी-छोटी टहनियों पर लगे होते हैं। अर्जुन के फूल सफेद या पीले रंग के होते हैं। अर्जुन के फल कमरख की तरह (उससे कुछ छोटे) 5-7 पहलदार होते हैं।
3. यह प्राय: सभी स्थानों पर पाया जाता है। विशेषत: पश्चिमोत्तर भारत की पथरीली भूमि, बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश तथा हिमालय की तराई में मिलता है।
अर्जुन का रासायनिक संघटन : अर्जुन की छाल में कैलशियम कार्बोनेट 34 प्रतिशत, कैलशियम के अन्य लवण (साल्ट्स), कषाय द्रव्य (टैनिन) 16 प्रतिशत, अल्युमिनियम, मैगनीशियम, एक सेन्द्रिय अम्ल, रंजक-द्रव्य, शर्करा आदि होते हैं।
अर्जुन के पेड़ की छाल के गुण : यह स्वाद में कसैला, पचने पर कटु तथा हल्का रूखा और शीतल होता है। इसका मुख्य प्रभाव रक्तवह-संस्थान (ब्लड सर्कुलेटरी सिस्टम पर हृद्य (हार्ट टानिक, हृदय-बलकारक तथा सम्बद्ध रोगनाशक) रूप में पड़ता है। यह रक्त-स्तम्भक (टूटी हड्डियों को जोड़नेवाला) कफध्न, मूत्रगत दाहादि का शामक, जीर्णज्वरहर, बलकारक तथा योनिस्राव-स्तम्भक है।
अर्जुन छाल का उपयोग ( arjun ki chaal ke upyog )
1. हड्डी जोड़ने के लिए : अर्जुन की छाल में चूने की अधिकता है, अत: छाल का स्वरस या काढ़ा दूध में मिलाकर पिलाने पर प्लास्टर से ठीक स्थान पर रखी हड्डी निश्चित जुड़ जाती है।
2. झाइयों की दवा : मुख पर झाँई या काले दाग पड़ जाने पर अर्जुन के छाल के कल्क का लेप करें।
3. बवासीर : बवासीर में अर्जुन की छाल के काढ़े से सेंक करें।
4. हृदय-रोग : हृदय-रोग में अर्जुन की छाल दूध में पकाकर मिश्री के साथ लेनी चाहिए। अर्जुन की छाल के काढ़े में गेहूँ का आटा माँड़कर उसे घी या तेल में पकाकर खाने से सम्पूर्ण हृदय-रोग नष्ट हो जाते हैं।
5. क्षयज कास : क्षयज कास में अर्जुन की छाल का स्वरस, मधु, मिश्री और घी में मिलाकर लेने से अतिलाभ होता है।
6. रक्तपित्त : अर्जुन के स्वरस के साथ आम और जामुन के पत्तों का स्वरस लेने पर कहीं से भी आनेवाला रक्त रुक जाता है। यह रक्त पित्त में विशेष काम करता है।
7. रक्तातिसार : अर्जुन की त्वचा को दूध और मधु के साथ लेने से रक्तातिसार में लाभ होता हैं।
8. सफेद बाल का उपाय : अर्जुन के छाल को पीसकर मेहंदी के साथ लगाने पर बाल काले और घने होते हैं।
9. ब्लड प्रेशर : रोजाना अर्जुन के छाल की चाय बनाकर सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
10. पेशाब की रुकावट : अर्जुन के छाल का काढ़ा पीने से पेशाब खुलकर आता है।