[ एक तरह के पौधे की ताजी जड़ या सोर से टिंचर तैयार होता है ] – साधारणतः मिर्गी के समान आक्षेप, बचपन में किसी बीमारी के साथ आक्षेप या चिहुकबाई ( convulsion ), युवती स्त्रियों की मिर्गी, डर से या अन्य किसी तरह की प्रबल उत्तेजना अथवा हस्तमैथुन आदि के द्वारा शुक्रक्षय होने से मिर्गी हो जाना इत्यादि में तथा अनेक प्रकार के स्नायविक रोगों में इसका उपयोग होता है।
चोट – चोट लगते ही बहुत से लोग पहले आर्निका प्रयोग करते हैं। आर्टिमिसिया सिर्फ आँख में चोट लगने की और उससे उत्पन्न उपसर्गों की बढ़िया दवा है। इसका लगाने और खाने दोनों तरह से प्रयोग होता है। बाहरी प्रयोग के लिए 1 औंस डिस्टिल्ड वाटर में मूल-अर्क की 20-25 बून्द ( इसी हिसाब से ) मिला लेना चाहिए।
मिर्गी ( epilepsy ) – आर्टिमिसिया दवा पहले-पहल डॉ बोरिक से ली गई थी। होम्योपैथिक पद्धति से स्वस्थ शरीर पर परीक्षा नहीं हुई है। उपर्युक्त डॉक्टरों का कहना है – जिन युवती स्त्रियों के मासिक ऋतुस्राव नियमित समय पर नहीं होता उनको तथा जिन्हे पहली बार ऋतु-स्राव होने की उम्र में मिर्गी हो जाती है उनके लिए यह ज्यादा फायदेमंद है। इसके फिट का दौरा ( आक्षेप ) इतना जल्दी-जल्दी होता है कि रोगी को होश में आने का मौका ही नहीं मिलता। हिस्टेरो-एपिलेप्सी में टैरेंटुला हिस्पैनिया लाभदायक है।
सदृश – साइक्यूटा, सिना।
क्रम – 3, 200 शक्ति।