ऐसा मालूम पड़ना की जैसे झट से किसी ने कान बंद कर दिए हो, जिससे सुन नहीं पाना। कभी-कभी श्रवण शक्ति तेज हो जाना, यहाँ तक कि कागज की खड़खड़ आवाज़ भी सहन नहीं होना।
आँख की बीमारी – कंठमाला-धातुवालो की आँख की बीमारी में यह कैल्केरिया और सल्फर की अपेक्षा ज्यादा फायदा करती है।
ऐसेरम रोगी बड़ा ही स्नायुक्षीण, उत्तेजित और उदास होता है, उसका चित्त एक ठिकाने नहीं रहता, उसके चित्त में नाना प्रकार की हास्यास्पद बातें उदय हुआ करती हैं। वह अपने शरीर को इस कदर हलका मालूम करता है कि मानो प्रेत-देह की तरह वह शून्य में विचरण कर रहा है।
उसकी नसें इस कदर सचेत होती हैं कि यदि वह ख्याल भी करे तो कोई सूती या रेशमी कपड़े को नाखून से खरोच रहा है या कागज़ से खड़खड़ाहट शब्द पैदा कर रहा है, तो उसके लिए बड़ा ही अप्रिय है और उसके सारे शरीर में एक प्रकार की खलबली सी होने लगती है, इससे थोड़ी देर के लिए उसके सब कार्य तथा चिन्ताएं रुक जाती हैं। रोगी ऐसा अनुभव करता है कि मानो दोनों कान डाट से बन्द हो गये हैं। पढ़ते समय ऐसा अनुभव होता है कि मानों आँखें दब कर फट जायेगी या बाहर निकल पड़ेगी, आँखों को ठण्डे पानी से धोने से आराम मिलता है। आँखों को ठण्डी हवा और ठण्डा पानी अच्छा मालूम होता है; तेज़ हवा, धूप और रोशनी नहीं सही जाती।
सगर्भावस्था में जी की मिचलाहट में यह उपयोगी है।
समस्त रात शराब पीने के बाद सुबह सो कर उठते ही पेट में अत्यन्त दुखदाई दर्द होने पर यह लाभदायक है।
शराब पीने की अत्यन्त अभिलाषा को यह औषधि दूर करती है।
सम्बन्ध (Relation) – क्यूप्र, मास्कस, नक्स-मस, नक्स-वोम, फ़ास और पल्स के साथ तुलना करो।
वृद्धि – ठण्ड और खुश्क या साफ़ मौसम में।
ह्रास (Amelioration) – मुँह अथवा रोगाक्रान्त स्थान को ठण्डे पानी से धोने से, नम और भीगे मौसम में।
मात्रा (Dose) – 3 से 6 शक्ति।