इस औषधि की (urinary secretion) मूत्रस्राव पर प्रमुख एवं द्रुतगामी क्रिया होती है। यह औषधि कमजोरी और हृदय गति को मन्द करने के साथ शोथ पैदा कर देती है।
सर्दी-जुकाम, जिसमें नाक से अधिक मात्रा में पतला पानी सा स्राव होता है, माथे और नाक की जड़ में दर्द होता है, सुबह के समय आधे सिर का दर्द, आंख के आगे काले धब्बे। गले में खराश महसूस होने के साथ-साथ खखारने पर गले से अत्यधिक मात्रा में चिपचिपा बलगम निकलता है। पेशाब बार-बार आता है तथा मूत्र नली में सूई गड़ने जैसा दर्द और जलन होती है, पेशाब में विचित्र प्रकार की गन्ध आती है।
नाडी रुक-रुक कर चलती है, कमजोरी, धड़कन के साथ छाती में घुटन महसूस होती है। श्वास लेते समय भारी घुटन होती है। बाएँ कन्धे और हृदय में दर्द, जिसका सम्बन्ध मूत्राशय के विकारों से रहता है। पीठ में, कन्धों के आसपास और हाथ-पैरों में आमवाती दर्द रहता है। बाएँ कन्धे के उभार से लेकर कंठास्थि तक दर्द, जो नीचे बाजू तक फैल जाता है, नाड़ी दुर्बल हो जाती है।
सम्बन्ध – प्रतिविष : ऐकोना, एपिस।
आलथिया मार्शमैलो (जिसमें ऐस्पैरेगिन रहती है, मूत्राशय, कण्ठ एवं श्वास नलियों की उत्तेजना) फाइसेलिस अल्केकेमी, डिजिटेलिस, स्पाइजीलिया से तुलना हम कर सकते हैं ।
मात्रा – 6 शक्ति।