[ Sodium Chloroaurate ] – यह औषधि स्त्री जननेन्द्रियों पर सर्वाधिक प्रभावशाली क्रिया करती है, स्त्रियों के जरायु, डिम्बकोष इत्यादि स्थानों में होने वाली अनेक प्रकार की बीमारियों में यह दवा बहुत प्रसिद्ध है। सोरायसिस सिफिलिटिका (Psoriasis syphilitica) में इससे बहुत फायदा होता है। डा० हेल का कहना है कि इस औषधि के सेवन से तम्बाकू और अफीम खाने की आदत छूट सकती है। इसके लक्षण ठण्डी तथा नम हवा में आश्विन महीने के अन्त से बसन्त ऋतु तक बढ़ा करते हैं।
स्त्री – जरायु और डिम्बकोष में अधिक रक्तसंचय होने की वजह से, प्रदाह, जरायु का तीव्र प्रदाह (acute metritis), जरायु का पुराना प्रदाह (chronic mastitis) अति रज, बार-बार गर्भस्राव, गर्भाशय का ढीला हो जाना, जरायु ग्रीवा और योनि में घाव, जरायु का बाहर निकल आना (Prolapsus) जरायु का इतना बढ़ जाना कि उससे सारा वस्तिगहवर (Pelvis) भर जाना, जरायु की कमजोरी की वजह से रजोरोध स्वल्प रज, बहुत देर से ऋतु होना, श्वेद प्रदर, तकलीफ दे पीब फोडे (Pustules) निकलना, जरायु का कैन्सर, डिम्बकोष का शोथ इत्यादि स्त्रियों की अनेक बीमारियों में यह औषधि लाभदायक है।
जिहवा – सूइया चुभने जैसी अनुभूति, जलन और कठोरता गठिया का दर्द तथा आमवाती का पुराना रोग, छोटे-बड़े जोड़ों के यकृत का सूचण रोग (hepatic cirrhosis) अन्तरालीय वृक्कशोथ (interstitial nephritis)
मात्रा – 2, 3 शक्ति का विचूर्ण।