बाजरा दस्तावर, गर्म, श्लेष्मा, बलगम का नाश करने वाला होता है। बाजरा शरीर में गर्मी और सूखापन पैदा करता है।
सर्दी का मौसम – सर्दी के मौसम में हमें गर्म प्रकृति की चीजें खानी चाहिये। बाजरा गर्मी देता है। सर्दी के मौसम में बाजरे को रोटी घी या तिल के तेल में चुपड़कर गुड़ के साथ खानी चाहिये। बाजरे की रोटी खाने से दर्द, जोड़ों का दर्द, स्नायुदौर्बल्य में आराम मिलता है। शरीर सुडौल होकर त्वचा में खिचाव आता है। बाजरे के आटे में तिल मिलाकर रोटी बनायें तो यह अधिक गर्मी देती है। गुड़ और बाजरे की रोटी स्वादिष्ट लगती है। सर्दी में खिचड़ी गर्म दूध से खायें। यह सर्दी के मौसम का पौष्टिक भोजन है। इसे खाने से शरीर पर सर्दी का प्रभाव नहीं पड़ता।
दस्त – बाजरे में सूखापन उत्पन्न करने का गुण है। बाजरा खाने से मल बँधता है, मल का पतलापन दूर होता है। जब पतले दस्त लग रहे हों तो बाजरे की राबड़ी, खिचड़ी, घूघरी, दही या छाछ से खाने से दस्त लगना बन्द हो जाते हैं। लम्बे समय से दस्तों की बीमारी (संग्रहणी) भोग रहे रोगी बाजरे का नियमित सेवन करें। काँच निकलने पर बाजरे के आटे में नमक मिलाकर टिकिया बनाकर गुदा पर बाँधने से काँच निकलना बन्द हो जाता है।
कब्ज़ – पेट में सुददे (मल की गाँठ) होने पर भी यदि इसकी टिकिया गुदा पर 7 दिन तक बराबर रात्रि में सोते समय बाँधी जाए तो आँतों में जितने भी सुददे या खुश्क मल है, वह सब बाहर आ जाता है।
मुख-सौंदर्य – बाजरे की लाली (खिचड़ी कूटते समय जो लाली निकलती है), से उबटन किया जाए तो चेहरे का रंग निखर जाता है।
100 ग्राम बाजरे में पाये जाने वाले पौष्टिक तत्व
लोहा – लोहा रक्तकणों की वृद्धि करता है। फेफड़ों से अॉक्सीजन को शरीर के कोशों तक पहुँचाता है। माँसपेशियों का निर्माण और पुष्टि करता है। लोहे की कमी से रक्ताल्पता रोग हो जाता है। बाजरे में लोहा 5.00 मि.ग्रा. मिलता है। बाजरा लोहा तत्व की पर्याप्त आपूर्ति करता है। इसके खाने से लाल रक्तकणों की संख्या ठीक रहती है।
फॉस्फोरस – यह बाजरे में 0.35 मि.ग्रा. मिलता है। फॉस्फोरस सजीव शरीर-कोशों का अनिवार्य भाग है। यह अस्थियों तथा दाँतों में रहता है तथा उन्हें बनाता और सुरक्षित रखता है। अम्लों का रूपान्तर करता है और शरीर की ऊर्जा-क्रियाओं को बल देता है।
प्रोटीन – यह बाजरे में 11.6 ग्राम मिलता है। प्रोटीन शरीर का निर्माण, पोषण और रक्षण करता है। इसकी कमी से त्वचा में रूखापन और छिलके से हो जाना, बालों का रंग नारंगी भूरा-सा हो जाना और बच्चों की शरीर वृद्धि रुक जाना-ये दोष हो जाते हैं। इनको मिटाने के लिए बाजरा उत्तम भोजन है।
कार्बोहाइड्रेट – यह बाजरे में 23.35 ग्राम मिलता है। बाजरा शक्ति का उत्तम स्रोत है।
कैल्शियम – यह बाजरे में 42 मि.ग्रा. मिलता है। कैल्शियम शरीर निर्माण, स्नायुतंत्र की कार्य-शक्ति को बल देना, रक्त जमने की सहज प्रवृत्ति तथा शरीर कोशों की अपनी शक्ति का रक्षण करता है। इसकी कमी से अस्थि-दौर्बल्य, दन्त-विकृति और रिकेट्स रोग हो जाते हैं।
थायमिन (विटामिन ‘बी-1′) – यह बाजरे में 0.33 मि.ग्रा. मिलता है। थाइमिन हृदय और स्नायुतंत्र के सामान्य कार्यों में सहायक होता है। छिलका उतारने पर अनाजों का थायमिन नष्ट हो जाता है। अत: बाजरा घूघरी या खिचड़ी के रूप में खाना अधिक लाभप्रद है।
रिबोफ्लाविन (विटामिन ‘बी-2′ या ‘जी’) – बाजरे में 0.25 मि.ग्रा. होता है। यह शरीर-वृद्धि करता है, कोशों को बल देता है, रोगों के पश्चात् पुन: स्वास्थ्य-प्राप्ति और माँसपेशियों के पुनर्निर्माण में सहायक होता है। अतिसार और वमन को बंद करता है। इसकी कमी से प्रकाशांतक, त्वचा-विकृति, पलकों में खुरदरापन तथा होंठ-जीभ-नाक का शोथ हो जाता है।
नियासीन – यह बाजरे में 2.3 मि.ग्रा. होता है। नियासीन से श्वास क्रिया सही रहती है। यह शरीर-वृद्धि के लिए आवश्यक है और शक्ति उत्पन्न करता है। बाजरे को घूघरी या खिचड़ी खाने से नियासीन पूरी मात्रा में मिल जाता है।
विटामिन ‘ए’ – बाजरे में प्राप्त 132 मि.ग्रा. विटामिन-ए शरीर की वृद्धि करता है, दृष्टि शक्ति देता है और बढ़ाता है। इसकी कमी से रतौंधी और त्वचा शुष्कता होती है तथा द्रव-स्राव कम हो जाता है। इसे ठीक करने के लिए बाजरे की उपादेयता स्पष्ट है।
शरीर को मिलने वाली ऊर्जा – बाजरे से 361 कैलोरी ऊर्जा मिलती है। हमें अपने दैनिक भोजन में बाजरे का भी समावेश करना चाहिए।
ज्वार के फायदे
ज्वार बवासीर और घावों में लाभदायक है।
प्यास – ज्वार की रोटी नित्य छाछ में भिगोकर खायें। इससे अधिक प्यास लगना कम हो जाता है। शरीर बलवान होता है। कमजोर और वातप्रकृति वाले ज्वार न खायें।
पेट में जलन – भुनी हुई ज्वार जिसे ‘फूल्या’ या ‘खाल’ कहते हैं, बतासों के साथ खाने से पेट की जलन ठीक हो जाती है, प्यास कम लगती है।
जलन – ज्वार का आटा पानी में घोलकर शरीर पर लेप करने से शरीर की जलन दूर हो जाती है।