प्राय: नाइयों के उस्तरे साफ नहीं रहते, इस कारण उनके उस्तरे की धार में ‘कृमि’ जम जाते हैं – जो हजामत बनाते समय दाढ़ी आदि के बालों की जड़ों में पहुँच कर खुजली उत्पन्न कर देते हैं। ऐसी खुजली को ‘नाई की खुजली‘ अथवा ‘बार्बर्स-इच‘ कहा जाता है ।
इस रोग में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ लाभकर रहती हैं :-
टेल्यूरियम 6 – यह इस रोग की मुख्य औषध है । इसे प्रति एक घण्टे के अन्तर से देना चाहिए ।
रस-टाक्स 30 – यह भी इस रोग की श्रेष्ठ औषध मानी गई है । किसी अन्य औषध का प्रयोग करने से पूर्व इसे देना अच्छा है ।
कैल्केरिया-कार्ब 30 – इस रोग में यह औषध 6 घण्टे के अन्तर से देनी चाहिए तथा सप्ताह में एक बार वैसिलीनम 200 अथवा रेडियम ब्रोम 30 भी दें ।
सल्फर-आयोडाइड 3x, 3 – यह भी इस रोग की मुख्य औषध मानी जाती है । यह मुँहासों तथा बहने वाली एक्जिमा में भी लाभ करती है ।
ग्रैफाइटिस 6, 30 – यदि खुजली वाले स्थान पर ‘एक्जिमा’ जैसा दिखाई दे तथा उसमें से चिपचिपा स्राव भी निकले तो इसे देना चाहिए ।
हिप्पर-सल्फर 30, 200 – यदि दाढ़ी में ऐसे छाले पड़ जायँ, जिनमें खुजली भी मचती हो तो इसे देना चाहिए।