प्रकृति – गर्म। राई गर्म और पसीना लाने वाली होती है। इसका लेप करने से त्वचा लाल हो जाती है और रक्तवाहिनियाँ उत्तेजित हो जाती हैं जिससे उस भाग में शून्यता पैदा हो जाती है।
लेप विधि – राई को ठण्डे पानी के साथ पीसें। साफ मलमल के कपड़े को जिस अंग पर लेप करना हो, बिछा दें। फिर उस कपड़े पर पिसी हुई राई फैला दें, लेप कर दें। कपड़ा न रखकर लेप करने से त्वचा पर फुसियाँ हो जाती हैं। इसे अधिक समय न रखें। लेप करीब 10-15 मिनट रख सकते हैं। इस लेप से उल्टियाँ बन्द हो जाती हैं।
उदरशूल (Colic) और दु:साध्य उल्टियों को रोकने के लिए पेट पर राई का लेप आश्चर्यजनक लाभकारी है।
हैजा – रोगी को बहुत उल्टी, दस्त होते हों और शरीर में बाँयटे आते हों, अंगों में शिथिलता पैदा हो रही हो, ऐसी स्थिति में राई का लेप बहुत लाभ देता है। हैजा के अलावा भी उल्टी, दस्त होते हों, किसी औषधि से न रुकते हों तो राई के लेप से रुक जाते हैं। लेप पेट पर करें।