Loss of Appetite
विकृति के कारणों की जांच की जानी चाहिए। यदि क्षुधालोप यकृत की निष्क्रियता के कारण हो तो निम्नलिखित उपचार अक्सर सफल होता है। अमीबा-रुग्णता (अमेबियासिस) की स्थिति में समुचित उपचार किया जाना चाहिए।
एलोपैथी : इस विधा में जो उपचार दिया जाता है वह है – विटामिन या सोरबिलिन और लिव – 52 । मेरा अनुभव है कि लिव-52 के अलावा अन्य औषधियां यकृत की क्रिया में सुधार नहीं करती हैं।
होम्योपैथी : चेलीडोनियम 30 सुबह और रात में तथा चियोनैंथस Q की 5 बूंदें भोजन के बाद दिन में दो बार, दो सप्ताह में चमत्कार उत्पन्न करती हैं।
केस
दुर्गापुर से एक युवती मेरे पास आई। उसकी आयु 23 वर्ष थी किंतु कई दिनों तक वह पानी या भोजन की आवश्यकता महसूस किए बिना रह सकती थी। वह कृशकाय हो गई थी और उसने एलोपैथी में समस्त प्रयास करके देख लिया था सभी विटामिन्स के इंजेक्शंस भी लिये थे, किंतु कोई फायदा न मिला। उसे चायना 30 दिन में दो बार दिया गया और वह दो सप्ताह में निरोग हो गई।
Increase in Appetite
कीड़ियों (वोर्म्स) के संक्रमण की स्थिति को छोड़कर अन्य स्थितियों में एलोपैथ चिकित्सक रोगियों को यह सलाह देते हैं कि उन्हें अत्यधिक भोजन न करने की दृढ़ इच्छाशक्ति रखनी चाहिए, किंतु यह अधिकांशतः काम नहीं करती।
होम्योपैथी : होम्योपैथिक सिद्धांतों के अनुसार अतिक्षुधा का कारण तंत्रिका-संबंधी विकार के कारण होने वाला अग्निमांद्य या दुष्पचन है। ऐसे केसेज़ में तत्रिकायें अति सक्रिय हो जाती हैं और अमाशय को जल्दी ही खाली कर देती हैं। रोगी प्रति आधे घंटे या एक घंटे के अंतर से खाता रहता है। अन्यथा वह आमाशय में जलन महसूस करने लगता है।
यू.एस.ए. के एक चिकित्सक ने अपनी अतिक्षुधा के लिए ‘अक्यूपंचर’ सहित समस्त उपचार कर लिया किंतु कोई लाभ न मिला। मैंने उसे कैली ब्रोम 30, सीपिया 30 और लाइकोपोडियम 30 पर्यायक्रम से दिया। वह एक सप्ताह में अतिक्षुधा के रोग से मुक्त हो गया।