मंदाग्नि का कारण – भूख कम लगने को मंदाग्नि कहते हैं। यह रोग जिन कारणों से उत्पन्न होता हैं उन कारणों को हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं।
1. आहार-विहार।
2. अन्य रोग जन्य।
1. आहार विहार जन्य – आजकल हमारा खानपान, रहन-सहन सब इतना विपरीत हो गया है कि उससे न जाने कौन-कौन से रोग उत्पन्न हो जाते हैं। क्योंकि हमारा मिथ्या आहार-विहार होने से वात-पित्त-कफ ये तीनों दोष आमाशय (पेट) की अग्नि को बिगाड़ कर पेट में रहने वाली अग्नि को शरीर से बाहर निकाल कर ज्वर, पाण्डु अग्निमांद्य जैसे रोगों को उत्पन्न कर देते हैं।
आचार्य चरक कहते हैं कि यदि हम आयुर्वेद के एक सूत्र को जान लें तो रोगी नहीं हो सकते क्योंकि दोषों की विषमता रोग और दोषों की समता को आरोग्य कहा है। अर्थात् यदि हम नियमानुसार आहार-विहार करते रहे तो वात-पित्त-कफ ये तीनों दोष कुपित नहीं होते। जब नियमानुसार आहार-विहार नहीं करते तो ये तीनों दोष कुपित होकर सातों धातुओं को कुपित कर देते हैं जिससे मल-मूत्रादि भी बिगड़ जाते हैं और रोगों को उत्पन्न कर देते हैं।
इन सबका मतलब यह है कि हमारे अनियमित खान-पान और विहार से ही वात पित्त और कफ मंदाग्नि रोग को पैदा करते हैं। जब ये तीनों समावस्था में रहते हैं तो अग्नि सम रहती है अर्थात् समाग्नि रहती है। जिससे हम जो कुछ ग्रहण करते हैं उसका ठीक से पाचन होता हैं और पाचन के रस रक्तादि सातों धातुओं का निर्माण होकर शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है। लेकिन वायु के अधिक होने से जठराग्नि ‘विषम’ हो जाती है जिससे पेट दर्द, दस्त लगना, पेट में आफरा आना, प्रवाहिका, पेट का भारीपन, पेट में गुड़गुड़ होना, डकारे आना, कभी अन्न का पाचन होना और कभी नहीं पचना आदि विकार उत्पन्न कर देती है। इस ही तरह जब हमारी अग्नि पित्त के कारण तीव्र (तीक्ष्ण) हो जाती है। तब वह हमारे खाये पिये अन्नादि को शीघ्र ही पचा देती है और हमें बार-बार भूख लगती रहती है।
मंदाग्नि, भूख न लगने का घरेलू उपाय
1. अदरक में सेंधा नमक लगाकर खाने से मंदाग्नि दूर होती है।
2. सोंठ के चूर्ण में गुड़ मिलाकर खाने से जठराग्नि प्रदीप्त होकर मंदाग्नि दूर होती है।
3. पीपल के चूर्ण को गुड़ के साथ सेवन करने से मंदाग्नि तीव्र होती है तथा अरुचि, पीलिया, हृदय रोग और कृमि रोग भी मिटते हैं।
4. आँवले के चूर्ण को पानी, घी या शहद के साथ रात्रि में सेवन करने से मंदाग्नि में लाभ होता है।
5. सूखे आंवलों का चूर्ण, सेंधा नमक को जल के साथ सेवन करने से मंदाग्नि दूर हो जाती है।
6. ताजे आंवलों को अग्नि में भूनकर पीस लें फिर इसमें घी और जीरे का बधार देकर सेंधा नमक मिलाकर खाने से अरुचि, मंदाग्नि दूर होकर जठराग्नि को प्रदीप्त करती है।
7. अजवायन चूर्ण 2 ग्राम, तुलसी पत्र 125 मि.ग्रा., सेंधा नमक 2 ग्राम, सोंठ 2 ग्राम। इन सबको मिलाकर जल के साथ सेवन करने से मंदाग्नि, उदरशूल तथा गैस रोग में लाभ होता है।
8. छाछ का सेवन प्रतिदिन करने से मंदाग्नि रोग नहीं होता। रोग की अवस्था में छाछ का सेवन भोजन के साथ अवश्य करना चाहिये। किन्तु वर्षा ऋतु में छाछ के सेवन का निषेध है।
9. त्रिफला या आंवले का चूर्ण गरम जल या गो-मूत्र के साथ सेवन करने से अरुचि, मंदाग्नि, अजीर्ण, कब्ज, उदर शूल, आदि विकार नष्ट हो जाते हैं।
10. अजवायन 50 ग्राम नीबू के रस में भिगोकर सुखा लें तथा थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर पीस लें। आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम जल के साथ फंकी लें। इससे भूख खुलकर लगेगी।
11. कलौंजी 50 ग्राम रात को सिरके में भिगोयें फिर छाया में सुखाकर चूर्ण बनाए। पन्द्रह तोले शहद या गुड़ की चासनी में मिलाकर आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम चाटें। इससे भूख खूब लगेगी।
12. अदरक-नीबू का रस 50 ग्राम, नमक सेंधा 10 ग्राम मिलाकर 3-4 दिन तक धूप में रखें। एक-एक चम्मच भोजनोपरान्त पीएं। इससे आम का पाचन होकर भूख खूब लगेगी।
13. सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सेंधा नमक, सफेद जीरा, अजवायन, शुद्ध हींग। सभी द्रव्य समभाग लें तथा हींग छठा भाग लें। इन सबको बराबर लेकर कूट पीस लें फिर हींग को घी में भून कर शुद्ध कर लें और चूर्ण को घोट लें। भोजन करते समय घी के साथ इस चूर्ण को आधा चम्मच मिलाकर चाटें फिर शेष खाना खाये। इससे मंदाग्नि दूर होती हैं और भूख खूब लगती है।
14. लाल मिर्च (मीठी) अदरक के रस व नीबू के रस में खरल करके चने बराबर गोलियाँ बना लें। यह एक-एक गोली खाने के बाद पानी से निगल लें तथा बाद में पान से खायें। इससे भूख लगेगी।
15. सौंफ मोटी, सोंठ और कूजा मिश्री बराबर मिलाकर रखें इसमें से आधा-आधा चम्मच खाने से पूर्व पानी से लें।
16. यवक्षार (जौ खार) 1 ग्राम, नागर चूर्ण (सोंठ) 1 ग्राम खाने के मध्य में गर्म पानी से लें।
17. कालादाना 3 ग्राम, मिश्री 3 ग्राम दोनों को पीस कर खाने के बाद ठंडे पानी से लें। इससे मंदाग्नि और कब्ज दूर होगा।
18. चव्य, चित्रक, सोंठ, पीपल, मूल इन पाँचों को बराबर लेकर चूर्ण बना लें फिर इसको खाने के बाद 1- 1 चम्मच चूर्ण गर्म पानी से लें। इससे भूख खूब खुलकर लगती है।
19. सोंठ, मिर्च, पीपल, हरड़, बहेड़ा, आंवला तथा सेंधा नमक इन सबको बराबर-बराबर लेकर चूर्ण बनायें। यह 6 ग्राम चूर्ण सरसों के तेल में मिलाकर सुबह खाली पेट खाने से कैसी भी मंदाग्नि क्यों न हो ठीक हो जाती है तथा मोटापा भी दूर करता है।
20. सोंठ, जीरा, हरड़, काला नमक, वच, हींग, चव्य चित्रक, पीपरामूल, अम्लवेत, अनारदाना, जवाखार, शुद्ध सुहागा इन्हें अदरक के रस में मिलाकर चाटें तथा ऊपर से गर्म पानी पीवें।
21. राई, अजवायन, काला नमक और चीनी इन चारों को बराबर लेकर पीस लें। खाने के बाद एक-एक चम्मच पानी से लें।
22. त्रिफला, अजवायन, काला नमक 50 ग्राम, सौंफ, काली मिर्च 10 ग्राम, ग्वार पाठा 500 ग्राम लेकर सबको कूट-छानकर ग्वारपाठे के छोटे-छोटे टुकड़े करके मिट्टी के बर्तन में 15 दिन तक धूप में रखें। बस दवा तैयार है। पेट में वायु, दर्द, भूख कम लगना, कब्ज आदि रोगों में लाभ करता है।
23. खाने से पूर्व नीबू, अदरक और सेंधा नमक खायें या नीबू के रस के साथ घोटकर पीयें। नीबू के रस में जायफल घिस कर चाटने से भी आराम मिलता है।
24. नीबू और सेंधा नमक को किसी मिट्टी के घड़े में उलट-पलटकर रख दें और उसका मुँह कपड़े से बाँध दें। नीबू गल जाने तक उसको रोज हिलाते रहें। फिर थोड़ा-थोड़ा नीबू रोज चाटें इससे पेट की अग्नि बढ़कर भूख खूब लगती है।
25. कागजी नीबू का रस 3 ग्राम, चूने का निथरा हुआ पानी 25 ग्राम, अजवायन पिसी हुई 1 ग्राम, शहद 12 ग्राम सबको मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट दर्द, भूख कम लगना, कमजोरी, बच्चों का दूध पलटना आदि में लाभ होता है।
26. नीबू को आड़ा काटकर उसका थोड़ा-सा रस निकाल लें फिर सोंठ और सेंधा नमक भरकर मुंदरी-मुंदरी आँच पर सेंकें फिर ठंडा करके चूसें।
27. करेले की सब्जी प्रतिदिन खाने से भूख बढ़ जाती है।
28. धनिया, सौंफ, सोंठ की बराबर मात्रा लेकर काढ़ा बना ले। इस काढ़े से भूख बढ़ती है, पाचन शक्ति तेज होती है।
29. हरा धनिया, पोदीना, इन दोनों को बराबर लेकर चटनी पीसकर एक गिलास पानी में घोलकर लें। फिर उसमें एक ग्राम सिका हुआ जीरा, 1 ग्राम काला नमक, 2 चम्मच चीनी आदि डालकर पीने से भूख खुलकर लगने लगती है और पेट दर्द भी ठीक हो जाता है।
30. भोजन करने के एक घण्टा पहले तक 5 ग्राम अदरक के टुकड़े और सेंधा नमक के साथ खाने से भूख खुलकर लगने लगती है।
31. सोंठ का चूर्ण गर्म पानी के साथ फंकी लेने से भूख खुलकर लगने लगती है और भोजन सुचारू रूप से पचने लगता है।
32. आंवलों का ताजा रस सेवन करने से या सूखे आंवलों के चूर्ण को पानी के साथ फाँकने से भूख कड़ाके की लगने लगती है।
33. अजवायन, सेंधा नमक, काली मिर्च, 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बनायें, इसमें 5 ग्राम खाने का सोडा मिलाकर शीशी में भर लें। 2 से 4 ग्राम तक सुबह-शाम गर्म पानी से लेने पर सब प्रकार की अरुचि, पेट दर्द, भूख नहीं लगना, पेट में आफरा आदि में से आराम मिलता है।
34. अजवायन 120 ग्राम, यवक्षार, सेंधा नमक, काला नमक, काली मिर्च प्रत्येक 80 ग्राम इन सबको कूट पीसकर बरनी में भर लें तथा डेढ़ किलो कागजी नीबू का रस भर कर एक महीने तक धूप में रखें फिर उस चूर्ण को 3-6 ग्राम तक रोज जल से खायें। इसे सुबह-शाम लेने से भूख खुलकर लगती है। कब्ज दूर होती है। सब प्रकार के पेट के रोगों में आराम मिलता है।
35. हरड़ के चूर्ण को सोंठ और गुड़ के साथ मिलाकर खाने से सेंधा नमक मिलाकर खाने से भूख खुलती है।
36. हरड़ और नीम को लेकर चने बराबर गोलियाँ बना लें। यह दो-दो गोली दिन में 3 बार खाने से पेट साफ होकर भूख खुलती है।
37. चित्रक, अजवायन, सेंधा नमक, सोंठ और काली मिर्च इनको कूट पीसकर चूर्ण बना लें। आधा चम्मच यह चूर्ण छाछ के साथ लेने से मंदाग्नि ठीक होती हैं, भूख खूब लगती हैं, पीलिया ठीक हो जाता है तथा बवासीर में भी लाभ करता है।
38. हरड़, पीपल और सोंठ को बराबर-बराबर लेकर चूर्ण बना लें। इसे त्रिसम चूर्ण भी कहते हैं। यह मनुष्य की जठराग्नि को बढ़ाता है तथा प्यास कम करता हैं।
39. छाछ ही एक सर्वश्रेष्ठ पेय है जो किसी भी प्रकार की अग्निमांद्य क्यों न हो उसे ठीक कर देती है।
40. रोज सवेरे यवक्षार और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से तथा ऊपर से यदि गर्म पानी पीवें तो भूख खूब खुलकर लगती है।
41. खाने से पहले यदि सेंधा नमक और सोंठ को चूसा जाये तो भूख खुलकर लगती है।
42. पीपल से दुगुना गुड़ मिलाकर चने बराबर गोलियाँ बना लें यह 6 गोली दिन भर में चूसने से, वात रोग, भूख नहीं लगना, गैस बनना, अरुचि, कब्ज आदि में फायदा करता है।
43. आंवले का रस पीने से जठराग्नि तेज होती है। आंवले का चूर्ण पानी के साथ लेने से खाया हुआ खाना पचता है और भूख लगती है। आंवले का रस, चटनी, आचार खाइये और स्वस्थ रहिए।
44. अंजीर को सिरके में भिगोकर खाने से मंदाग्नि और अफारा ठीक हो जाता हैं।
45. मूली को काटकर, काली मिर्च, सेंधा नमक डालकर भोजन के साथ खाने से भूख खुलकर लगने लगती है।