इस औषधि में फड़फड़ाहट की अनुभूति, गुर्दे और मूत्राशय सम्बन्धी लक्षणों की प्रमुखता होती है। कानों और नथूनों में खुजली, छाती में घुटन होती है, लेखकों के हाथों में ऐंठन (Writer’s Cramp) वृक्कशोथ (Bright’s disease), गुर्दे का एक विशेष प्रकार का रोग, जिसमे अन्नसार आता है।
पेट – रोगी को ऐसा लगता है कि जैसे कोई चीज पेट में चक्कर काट रही हो, डिम्बाशय में फड़फड़ की आवाज होती है।
मूत्र – पेशाब की हर समय हाजत, ऐसा लगता है मानों पेशाब रोका नहीं जा सकता। मूत्राशय ग्रीवा पर दबाव, मूत्रपथ में दुखन, पेशाब में श्लेष्मकण, उपकला, अन्नसार और निर्मोक रहते हैं।
वाह्वांग – जो व्यक्ति लिखने का काम अधिक करते हैं उनकी हाथ की उंगुलियों, अंगूठे और हाथ की कलाई में दर्द और ऐठन होती है। जो बाजू और कलाई को फैलाने वाली पेशियों और हड्डियों तक फैल जाता है।
सम्बन्ध – एपिस, हेलोनियस, मर्क्यू-कौ, प्लम्बम से तुलना कर सकते हैं।
मात्रा – 1 से 3 शक्ति।