कार्बोलिक एसिड में किसी चीज के सड़ने, गलने और दुर्गन्ध के रोकने के लिए असीम गुण रहने के कारण ही पचन निबारक (Antiseptic) और संक्रामक रोग विनाशक वस्तु (Disinfectant) की तरह इसका अधिक इस्तेमाल होता है। इसकी परीक्षा से भी यह प्रमाणित हो चुका है कि जिनमें पचने और दूषित होने की प्रवणता पाई जाती है, उन रोगों के लिए यह उत्तम औषधि है। दूषित रोग, जैसे जले हुए स्थान का घाव में परिणित होकर उसमें से रस टपकने लगना, मुंह, नाक, हलक, गुदा और योनिद्वार से सड़ा हुआ मवाद का जाना, दूषित चेचक, कुन्द शस्त्र द्वारा चिरा हुआ घाव, माँस या हड्डी का टूट कर सड़ने लगना इत्यादि।
कार्बोलिक एसिड के सिर दर्द की विशेषता यह है कि रोगी को मालूम होता है कि उसके माथे के चारों ओर मानो रबर का फीता कसा हुआ है ( Headache, as if a rubber band were stretched tightly around the forehead ) अजीर्ण रोग (Dyspepsia) के साथ अक्सर यह लक्षण पाया जाता है। सगर्भावस्था, कैन्सर रोग और शराबियों की कै में यह लाभदायक है। इसकी पेचिश में ऐसा मालूम होता है कि म्यूकस मेम्ब्रेन (Mucous membrane-श्लैष्मिक झिल्ली) खुरच कर पतले आँव की तरह निकल रहा है, अत्यन्त मरोड़ रहती है; उसके साथ मैला, हरे रंग का वमन होता है। बच्चों के हैजे के मल में सड़े हुए अण्डे की तरह बू आती है। कार्बोलिक एसिड का रोग बड़ा भयानक प्रकार का होता है, रोगी अति अल्प समय के अन्दर दुर्बल हो जाता है, शरीर पीला पड़ जाता है, शरीर ठण्डे पसीने से भर जाता है और मृत्यु अति निकट मालूम होती पड़ती है।
कब्ज के साथ अत्यन्त दुर्गन्धयुक्त साँस का चलना। इसका एक विशेष लक्षण है।
बेलाडोना और मैग्निशिया फॉस की तरह इसका दर्द भी एकाएक ही आरम्भ होता है, कुछ देर रहता है और एकाएक ही घट जाता है।
घटनाक्रम से या आत्महत्या करने के अभिप्राय से कार्बोलिक एसिड पीने या शरीर के किसी स्थान में लग जाने, पानी में साइडर सिरका मिला कर पीने या उस स्थान में लगाने से उसका असर नष्ट हो जाता है।
कार्बोलिक एसिड में बीजाणुओं को नष्ट करने की शक्ति रहने के कारण, मैली, कुचैली, दुर्गन्धयुक्त नालियों के कारण जो नाना प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं, जैसे टाइफायड ज्वर (Typhoid fever) इत्यादि, उनको अच्छा करने के लिए यह एक उत्तम औषधि है।
सारे शरीर पर छोटी-छोटी फुन्सियां निकलती हैं; उनमें बेहद खुजली होती है, रगड़ने से आराम मिलता है, मगर बाद में जलन होने लगती हैं, उसमे लाभदायक है।
सम्बन्ध (Relations) – आग्निदाह में आर्स और क्रियोजोट के साथ तुलना करो।
नोट – मधुमक्खियों के काटने पर डा. कैण्ट ने कार्बोलिक एसिड 3 शक्ति के प्रयोग का निर्देश दिया है।
मात्रा (Dose) – 3 से 30 शक्ति |