यह औषधि शरीर में बहुत गहराई तक पहुंचती है एवं विघनकारी क्रिया करती है तथा इसका कार्यक्षेत्र और प्रभाव भी अत्यन्त व्यापक है। अत्यधिक शराब पीने से जिन व्यक्तियों का स्वास्थ्य नष्ट हो गया है, अति संवेदनशील (sensitive) रोगी जो सर्दी बर्दास्त नहीं कर सकते हो, मांसपेशियां क्षीण हो गई हों तथा त्वचा और श्लैष्मिक झिल्लीयां सुन्न पड़ गई हैं। आंखों से इस औषधि का विशेष सम्बन्ध हैं। हर चौथे या छठे सप्ताह दस्त लग जाते हों। अगों में चेतना का अभाव स्नायु केन्द्रो में अत्यधिक रक्तसंचित होने की शिकायत पाई जाती है पुरानी plumbism, बाजुओं, हाथों और पैरों की चेतना शक्ति घट जाना। नपुंसकता और गृघ्रता इस औषधि के प्रभावक्षेत्र में आते हैं।
अांखें – आंखों के सामने जाला आ जाता है, दूर की चीज साफ नजर नहीं आती। रोगी रंगों को ठीक से पहचान नहीं सकता। आँख के आगे काले धब्बे उठते दिखाई देते है। लाल और हरे रंग को ठीक से नही पहचान पाता, केवल सफेद रंग ही पहचान सकता है। नेत्रों के सिकुड़ जाने की आशंका हो जाती है। नजर बहुत कमजोर हो जाती है।
सिर – सिर में दर्द रहता है और चक्कर आते हैं। रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे सिर पर तंग टोपी पहन रखी हो। सिर में तरह-तरह की आवाजें होती है। लगता है जैसे कान बंद हो गये हों। जीभ और मुंह सुन्न पड़ जाते है। होठों पर घाव बन जाते हैं।
कान – कानों में भिनभिनाहट और गाने की आवाजें आती हैं, ठीक से सुनाई नही देता, कानों में गुंजन होती रहती है। कानों की खराबी से सिर चकराने लगता है (कर्णनाद)।
आमाशय लक्षण – रोगी का स्वभाव चिड़चिड़ा, अधीर और गहन निद्रा, परिवर्तनशील स्वभाव। पेट में दर्द के साथ भुमणकारी सूजन, जिसमें सूजन जगह बदलती रहती है, लगता है जैसे पेट में हवा भर गई हो। पुरुषों में संभोग की इच्छा समाप्त हो जाती है, लिंग सिकुड़ जाता है तथा विपुल मात्रा में बार-बार वीर्यपात होता है।
वाह्यांग – हाथ पैरों में दुखन और कुचलन, हाथों के पिछले भाग में परिसर्प (herpes) अंगों में ऐंठन, बाजू सुन्न। लड़खड़ाती चाल, हाथ की उंगुलियां सूजी हुई, कठोर तथा अकड़ी हुई। उड़ान भरते हुए दर्द। हाथों और पैरों में ऐंठन के साथ दर्द। छोटे-छोटे घाव जो फैलते चले जाते हैं। खुजली तथा फोड़े फुंसी। यह औषधि कैंसर को रोकने के लिए उपयोगी है।
सम्बन्ध – तुलना कीजिए – पोटास एक्सेन्टट , दुबर कुलीनय, रेडियम, कार्बो, सल्फर, कास्टिकम, सैलोसिलिक, सिनकोना।
मात्रा – 1 शक्ति ।