(1) नियत समय पर रोग का प्रकट होना – अगर कोई रोग घड़ी के अनुसार ठीक नियत समय पर प्रकट होता है, समय टालता नहीं, तो वह Cedron से शान्त हो जायगा। ऐसा रोग किसी प्रकार का भी स्नायु-शूल हो सकता है, सविराम ज्वर हो सकता है, मिर्गी, रज-स्राव तथा प्रदर से संबंध रखने वाले रोग हो सकते हैं, मलेरिया-ज्वर हो सकता है। इस प्रकार रोग का नियत समय पर प्रकट होना अरेनिया में भी पाया जाता है, परन्तु अरेनिया गर्मी में ठीक रहता है, सर्दी या बरसात में रोग प्रकट होता है, Cedron का रोग सब ऋतुओं में होता है। इसके अतिरिक्त अरेनिया में ज्वर तो ठीक घड़ी के समय पर आएगा, परन्तु शीत की अधिकता होगी। उत्ताप कहने भर को होगा, Cedron में शीत के बाद उत्ताप की भी तेजी होती है। Cedron का बुखार दलदल वाली नीची जगहों पर ज्यादा पाया जाता है। रोगी गर्म पानी मांगता है।
(2) एक दिन छोड़कर 11 बजे सिर-दर्द होना – प्रतिदिन 11 बजे सिर-दर्द होना नैट्रम म्यूर का लक्षण है, एक दिन छोड़कर 11 बजे सिर-दर्द होना Cedron का लक्षण है। खासकर यह सिर-दर्द बाईं आंख के ऊपर की नसों में होता है।
(3) संभोग के बाद तांडव (कोरिया) या स्नायु-शूल का आक्रमण – स्त्री को संभोग के बाद अगर तांडव का आक्रमण होता हो, तो इस औषधि से दूर हो जायगा। पुरुष को भी अगर संभोग के बाद स्नायु-शूल होता हो, तो Cedron औषधि लाभप्रद है।
(4) रजोधर्म के 5-6 दिन पूर्व प्रदर-स्राव – स्त्रियों के संबंध में रजोधर्म से 5-6 दिन पहले प्रदर-स्राव का होना भी इसका लक्षण है।
(5) शक्ति – 6, 30