इस रोग में रोगी को दस्त एवं उल्टियाँ आनी प्रारंभ हो जाती हैं । दस्तों का रंग हरा भी हो सकता है और उसमें पित्त का अंश भी हो सकता है। साथ ही पेट में ऐंठन और दर्द, रोगी का सुस्त होते जाना, शरीर की गर्मी का कम होते जाना, ठण्डा पसीना आना, पेशाब बंद होने लगना, हिचकी आने लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। कुछ समय बाद रोगी के हाथ-पैर ऐंठने भी प्रारंभ हो सकते हैं । हैजा-रोग मुख्यतया मीठे पदार्थ अधिक खाने, पदार्थ एक साथ खाने, दूषित पानी पीने, गर्मी के मौसम में अधिकांश खाली पेट रहने, दूषित व स्वास्थ्य के लिये हानिप्रद वातावरण में रहने, गर्मी लग जाने, जुलाब अधिक लेने, नशीले पदार्थों का सेवन करने आदि के कारण होता है । गर्मियों के दिनों में आने वाले कुछ फलों जैसे- खरबूज, तरबूज, खीरा, ककड़ी आदि खाकर ऊपर से पानी पी लेने से भी हैजा हो सकता है । हैजा रोग प्राय: महामारी के रूप में फैलता है। अत: आपके आस-पास के किसी इलाके में हैजा फैल रहा हो तो आपको सावधान होकर अपना खान-पान संयमित कर लेना चाहिये । घर के आस-पास स्वच्छता रखनी चाहिये। और डी.डी.टी. आदि का छिड़काव करा देना चाहिये | पीने का पानी उबालकर ठंडा होने पर पीयें ।
कैम्फर Q – हैजे के लक्षण प्रकट होते ही सर्वप्रथम इसी औषधि का प्रयोग करना चाहिये । इस दवा की दस बूंदों को दो-तीन चम्मच चीनी (पानी में नहीं) में मिला लें और फिर प्रत्येक पाँच-पाँच मिनट के अन्तर से रोगी को तब तक देते रहें जब तक कि रोगी का शरीर ठण्डा और शक्तिहीन बना रहे । हैजे में यह दवा जादू जैसा असर करती है ।
वेरेट्रम एल्बम 6,30- यदि रोगी को भारी दस्त तथा वमन हो रहे हों और ठण्डा पसीना आ रहा हो तो आधा-आधा घण्टे के अन्तर से इस दवा को तब तक देना चाहिये जब तक कि रोगी के शरीर में गर्मी और शक्ति न आ जाये। पेट में दर्द, माथे पर पसीना, बहुत सारा ठण्डा पानी पीने की प्यास, शरीर का ठण्डा पड़ जाना, ऐंठन, अत्यधिक कमजोरी आदि लक्षणों में लाभप्रद है ।
कूप्रम मेट 6, 30– हैजे के साथ ऐंठन होने पर उपयोगी है। ऐंठन का लक्षण प्रमुख रूप से होने के साथ ही हाथ-पाँव एवं अँगुलियाँ सामने की ओर से टेढ़ी पड़ जायें तो विशेष रूप से उपयोगी है। कुछ चिकित्सक ऐसे लक्षणों में कूप्रम आर्स 3x को भी उपयोगी बताते हैं।
आर्सेनिक 3,30- हैजा के अन्य लक्षणों के साथ-साथ बेचैनी तथा जलन के लक्षण भी हों तो यह दवा देनी चाहिये। गहरी सुस्ती, शरीर ठंडा पड़ना, कमजोरी, बेचैनी आदि लक्षणों में उपयोगी हैं। दस्तों का रंग कालापन लिये होता है, वे दुर्गन्धित होते हैं और मात्रा में कम होते हैं।
रिसिनस कॉम्युनिस 3- चावल के धोवन जैसे, बिना दर्द के दस्त तथा हो, ऐंठन हो तो लाभप्रद है ।
एकोनाइट रैडिक्स Q- दस्त और वमन के साथ पेट में जलन, तेज दर्द, छटपटाहट, मृत्यु-भय आदि लक्षण भी हों तो लाभप्रद है।
काबॉवेज 30– हैंजा में वमन व दस्त बन्द हो जायें फिर भी रोगी का शरीर निढाल होता जाये, पेट में हवा भर जाये और वह फूल जाये, शरीर ठण्डा पड़ने लगे, जीवन का अन्त निकट दिखाई दे तो ऐसी स्थिति में यह दवा लाभ करती है ।
क्रोटन टिग 3– पिचकारी की तरह जोर से दस्त होना, गहरे हरे रंग या हरी आभायुक्त पीले रंग के पतले दस्त होना, नाभि के चारों ओर दर्द, मिचली, वमन, खाने-पीने के तुरन्त बाद दस्त या वमन होना- इन लक्षणों में यह रामबाण दवा है ।
आइरिस वर्स 3x- पानी जैसे पतले दस्त, हल्के रंग के दस्त, दस्त बारबार अधिक मात्रा में हो, दस्त के बाद मलद्वार में जलन, पेट-दर्द, खाई हुई वस्तुओं के टुकड़े वमन में निकलना, पसीना आना, रात्रि के पिछले प्रहर में रोग का आक्रमण होना, मिचली आना- इन लक्षणों में लाभप्रद हैं। यदि शरीर ठण्डा हो तो यह दवा न दें ।