(1) ऐंठन की दवा – मिर्गी, हिस्टीरिया, फुन्सियां दब जाने से मानसिक रोग जो ऐंठन का रूप ले लेते हैं, बच्चों के दांत निकलते समय ऐंठन – ये सब सिक्यूटा के लक्षण है। क्यूप्रम भी ऐंठन की औषधि है, परन्तु इन दोनों में भेद यह है कि इसमें ऐंठन पहले अंगुलियों में शुरू होती है, फिर हाथों में फैल जाती है, फिर छाती में, फिर सारे शरीर में; सिक्यूटा में ऐंठन सिर, आंख, गले से शुरू होकर पीठ से नीचे होती हुई हाथ-पांव की तरफ फैलती है। क्यूप्रम में नीचे से ऊपर की तरफ, सिक्यूटा में ऊपर से नीचे की तरफ ऐंठन की गति है। सिकेल में ऐंठन चेहरे से शुरू होती है। ऐंठन का लक्षण नक्स वोमिका में भी है, परन्तु सिक्यूटा एक दौर और दूसरे दौर के बीच मृदु, कोमल स्वभाव प्रदर्शित करती है। नक्स की रोगिन दोनों के बीच चिड़चिड़ी रहती है।
(2) रोगी को कुछ स्मरण नहीं रहता – सिक्यूटा विरोसा औषधि का अद्भुत लक्षण यह है कि रोगिन को जो कुछ पूछा जाता है उसका सही-सही उत्तर देती है, परन्तु बाद को उसे कुछ याद नहीं रहता है कि क्या हुआ और उसने क्या उत्तर दिया। सिक्यूटा, नैट्रम म्यूर और नक्स मौस्वेटा में भी यह लक्षण है, परन्तु नैट्रम म्यूर घर का सब काम-काज करती है, ठीक ऐसे जैसे पूर्ण स्वस्थ हो, परन्तु अगले दिन उसे किसी बात का स्मरण नहीं रहता, नक्स मौस्केटा की रोगिन भी काम-काज में व्यस्त रहती है परन्तु उसका मन सर्वथा शून्य होता है। सिक्यूटा का रोगी कोयला आदि अभक्ष्य-पदार्थ खाता है क्योंकि उसे इस बात का भी ज्ञान नहीं रहता कि क्या खाने की वस्तु है, क्या नहीं है। वह बच्चों की तरह नाचता है, गाता है, चिल्लाता है, शोर मचाता है क्योंकि उसे अपने-आप का यथार्थ ज्ञान नहीं रहता। वृद्ध पुरुष बच्चों की तरह हरकत करने लगता है। गुड़ियों से खेलता है, अपने मित्रों और परिचित व्यक्तियों को भी नहीं पहचानता, उन्हें अजनबी की तरह देखता है, उन्हें देखते हुए आश्चर्य करने लगता है कि क्या वे वही व्यक्ति हैं जिन्हें वह कभी जानता था। अपने विषय में भी वह सब कुछ भूल जाता है, उसे याद नहीं रहता कि उसकी क्या आयु है। स्त्री को जब दौरा पड़ता है, तो उसमें से निकलने के बाद वह बच्चों सा हरकत करने लगती है। ऐसे कई दृष्टांत हैं जिनमें बचपन में सिर पर चोट लगने से व्यक्ति भी अपंग हो गया, बाईस-तेईस वर्ष की आयु तक बच्चा ही बना रहा। उन्हें सिक्यूटा 200 की मात्रा देने से उसका मस्तिष्क ठीक होन लगा। डॉ० टायलर ने ऐसी एक लड़की का जिक्र किया है जो बचपन में साढ़े तीन वर्ष की आयु तक बिल्कुल ठीक थी, परन्तु सिर पर चोट लगने से उसके मस्तिष्क का विकास रुक गया, वह सब कुछ भूल गई। उसे सिक्यूटा 200 की मात्रा महीनों बाद तीन-चार बार देने पर उसका मानसिक-विकास होने लगा।
(3) एग्जिमा जैसे फोड़े-फुन्सी – यह औषधि इस प्रकार के फोड़े-फुन्सी एग्जिमा को भी ठीक कर देती है, जो एक-साथ छोटे-छोटे उभर कर मिलकर एक पीली पपड़ी-सी बना देते हैं। डॉ० नैश ने एक रोगी का जिक्र किया है जिसके सिर पर इस प्रकार का एग्जीमा था। उसका सारा सिर इस एग्ज़ीमा से ऐसा भर गया था जैसे सिर पर टोपी रखी हो। उसने अनेक लेप इस्तेमाल किये थे परंतु किसी से ठीक नहीं हुआ। सिक्यूटा की 200 शक्ति की एक मात्रा से वह बिल्कुल ठीक हो गया। खोपडी और दाढ़ी के बालों के अन्दर फुन्सियों को भी यह औषधि ठीक कर देती है।
(4) शक्ति – 6, 30, 200