यह औषधि कामांगो के विकार, थकान, सघर्ष एंव अस्थिवेदना, जो प्रात: काल बढ़ती है। मेरुदण्ड की स्नायविक दुर्बलता में हितकर। किसी प्रकार की मानसिक उत्तेजना से शारीरिक कष्ट बढ़ जाना। सिर में मन्द मन्द दर्द, सिर को आगे की तरफ झुकाने से अधिक कष्ट, खोपड़ी और दाढ़ी के बालों में खुजली, जीभ के आस-पास दरारें पड़ जाती हैं। जीभ पर सफेद मैल जम जाना, दांतो में दर्द। यकृत में गोली लगने जैसा दर्द। मलद्वार से हर वक्त खून टपकता रहता है, परन्तु मल खून रहित होता है। अपने आप वीर्यपात हो जाना, नपुंसकता, कमर दर्द, मूत्रपथ के पीछे वाले भाग में दर्द। वासना भरे स्वप्न। पीठ और त्रिक भाग में वेदना, जो बैठने पर बढ़ती है और चलते समय या लेटने पर घट जाती है। कलाई के जोड़ में मन्द-मन्द दर्द, घुटने दुर्बल, अंगों में कम्पन, पैरों पर पसीना।
सम्बन्ध – कैना इण्डिका, सीपिया, जिंकम, ऐंग्नस, सेलीनियम।
मात्रा – 3x से 30 शक्ति तक।