लक्षण तथा मुख्य-रोग | लक्षणों में कमी |
मानसिक उत्तेजना, सब इन्द्रियों की उत्तेजित अवस्था तथा निद्रा-नाश | मुंह में ठंडे पानी से लाभ |
हर्ष से नींद न आना | गर्मी से रोगी को लाभ होना |
शोर-गुल और हरकत से दर्द बढ़ जाना | लक्षणों में वृद्धि |
दांत के दर्द में मुख में ठंडे पानी से आराम | अचानक मानसिक-उत्तेजना |
सिर में कील चुभने-जैसा दर्द | अचानक अति-हर्ष से वृद्धि |
अधिक कॉफी पीने से होने वाले रोग का प्रतीकार | शोर-गुल, हरकत से वृद्धि |
(1) मानसिक-उत्तेजना, सब इन्द्रियों की उत्तेजित अवस्था तथा निद्रा नाश – कॉफी पीनेवाले जानते हैं कि इससे मानसिक-चेतनता जाग जाती है। इसके रोगी की विचार-शक्ति बड़ी तीव्र हो जाती है। जो कुछ करना हो झट करने को दौड़ता है, विचार करने लगता है तो उसमें इतना खो जाता है कि सोचता ही रहता है। विचारों का प्रवाह उसे घेरे रहता है। अगर वह व्यापारी है तो व्यापार की योजनाएं बनाता चला जाता है, यहाँ तक कि इन विचारों में वह नींद को भी खो बैठता है। उसका मानस उत्तेजित रहता है। उसके विचार जगत् को जब चिंतन की लहरें आप्लावित करने लगती हैं, तब उसके लिये उनसे छुटकारा पाना कठिन हो जाता है। उसकी हर इन्द्रिय उत्तेजित हो उठती है। दूर-दूर की आवाजें उसे सुनाई देने लगती है। रात को कहीं दूर घंटा बज रहा हो, कुत्ते भूँक रहे हों, सब उसे सुनाई पड़ता है। मानसिक-उत्तेजना के सब विकार इस औषधि में पाये जाते हैं। जरा से शोर से उसकी तकलीफें बढ़ जाती हैं। दरवाजे का खुलना, घंटी का बजना, बच्चों का दौड़ना-धूपना, उनके पैरों की आहट-जिन आवाजों की तरफ स्वस्थ-व्यक्ति का ध्यान तक नहीं जाता है, वे उसे परेशान कर देती हैं। सारे ‘मैटीरिया मैडिका’ में दूसरी कोई औषधि ऐसी नहीं है जिसमें आवाज को सुनने से तकलीफ बढ़ जाती हो। इस रोगी का दर्द आवाज से बढ़ जाता है। नक्स वोमिका में यह लक्षण है, परन्तु आवाज से हाथ-पैर में भी दर्द का बढ़ जाना-कान की इन्द्रिय का इतना उत्तेजित होना कि शब्द को भी बर्दाश्त न कर सके कॉफिया से तत्काल लाभ होता है।
(2) हर्ष से नींद न आना – कई लोगों को कॉफी पीने से नींद नहीं आती। होम्योपैथिक शक्तिकृत कॉफिया की 200 शक्ति की एक मात्रा उत्तेजित मन को शान्त कर स्वाभाविक निद्रा प्रदान करती है। इस औषधि का उपयोग तब किया जाता है जब मानसिक उत्तेजना के कारण, और खासकर किसी हर्षदायक समाचार के कारण मन इतना उत्तेजित हो जाय कि नींद ही न आये। किसी को लॉटरी का रुपया एकदम मिल जाने से नींद नहीं आती। ऐसे समयों में कॉफिया आश्चर्यजनक असर पैदा करती है और पासे पलटता हुआ रोगी शान्त निद्रा में सो जाता है। परन्तु इसी अवस्था में यह उपयोगी है, हर प्रकार के अनिद्रा रोग में नहीं। इसका काम मानसिक-उत्तेजना को शान्त कर देना है। सिर्फ नींद न आती हो, तब इसका कोई उपयोग नहीं है। अशुभ समाचार से नींद न आने में जेलसीमियम दवा है।
(3) शोर-गुल और हरकत से दर्द बढ़ना – जैसा हमने ऊपर कहा, इस औषधि का अद्भुत लक्षण यह है कि शोर-गुल से दर्द बढ़ जाता है। रोगी की सुनने की शक्ति अन्य शारीरिक-इन्द्रियों की तरह इतनी तीव्र हो जाती है कि शब्द सुनने से ही दर्द होने लगता है। चेहरे का दर्द, दांत का दर्द, सिर-दर्द, टांगों में दर्द-कहीं भी दर्द हो, शोर-गुल से दर्द का बढ़ जाना इसका विशेष लक्षण है। डॉ० हेरिंग ज्वर के साथ दर्द में एकोनाइट और कॉफिया पर्याय-क्रम से, एक-दूसरे के बाद दिया करते थे। जब एकोनाइट के ज्वर के लक्षण और कॉफ़िया के स्नायविक-उत्तेजना, असहनशीलता के लक्षण मौजूद हों, तब इन दोनों का एक-दूसरे के बाद देना लाभदायक सिद्ध होता है। यद्यपि अगर एक ही औषधि से सब लक्षण ठीक हो जायें तब दोनों के देने की कोई आवश्यकता नहीं। शोर-गुल के अतिरिक्त हरकत से भी कॉफिया का दर्द बढ़ जाता है।
किसी जगह भी दर्द हो – अगर शरीर के किसी भाग में भी दर्द हो, और किसी दूसरी औषधि के लक्षण स्पष्ट न दीख रहे हों, तब कॉफिया औषधि की 200 शक्ति की एक मात्रा देने से लाभ होता है क्योंकि मानसिक-उत्तेजना के कारण दर्द को यह शान्त कर देता है। कॉफ़िया का दर्द हरकत से बढ़ता है, ठंडी हवा को नहीं सह सकता।
(4) दांत के दर्द में मुख में ठंडे पानी से आराम – इस औषधि का रोगी ‘शीत-प्रधान’ होता है, परन्तु इसका अद्भुत-लक्षण यह है कि दांत के दर्द में, जबड़े के दर्द में बर्फ जैसे ठंडे पानी को मुख में रखने से आराम मिलता है। ठंड लगने से भी जब दांत का दर्द शुरू हो जाय, या मानसिक उत्तेजना से, हर्ष-समाचार से दांत का दर्द उठ खड़ा हो, तब भी ठंडे पानी को मुख में रखने से लाभ होता है। यद्यपि रोगी स्वभाव से शीत-प्रकृति का होता है, तो भी गर्म चाय नहीं पी सकता। हम पहले भी कई बार लिख चुके हैं कि अनेक औषधियों में रोगी के ‘व्यापक-लक्षण’ (Generals) उसके ‘अंग-विशेष’ (Particulars) के लक्षणों के विपरीत होते हैं। कॉफिया का रोगी शीत-प्रधान है, परन्तु उसका मुख का दर्द ठंडा पानी ही मांगता है। इन दोनों के विरोध को देखते हुए हमें उसके ‘व्यापक-लक्षण’ (General) को ही ध्यान में रखना होगा, यह नहीं देखना होगा कि क्योंकि वह दांत के दर्द में ठंडा पानी चाहता है इसलिये उसे गर्म रोगी समझा जाय। होम्योपैथिक-सिद्धान्त के अनुसार गर्म रोगी को गर्म दवा दी जाती है, ठंडे रोगी को ठंडी दवा दी जाती है क्योंकि इस शास्त्र का सिद्धान्त ‘सम: सम शमयति’ का है। कॉफिया का रोगी मिजाज़ का ठंडा रोगी है, इसलिये दांत-दर्द में ठंडा पानी चाहने पर भी उसके ‘व्यापक-लक्षण (Generals) के आधार पर उसे ठंडी दवा ही देनी होगी।
मुँह में ठंडा पानी रखने से कॉफिया का दर्द स्थायी तौर पर मिट जाता है। कैमोमिला में भी यह लक्षण है, परन्तु उसमें ठंडे पानी से कुछ देर ही दर्द कम होता है, फिर शुरू हो जाता है। कैमोमिला में मुख में गर्म पानी रखने से दर्द बढ़ जाता है।
(5) सिर में कील चुभने जैसा दर्द – सिर की कनपटी या खोपड़ी के ऊपर की हड्डी पर ऐसा दर्द होता है मानो कील चुभ रही है तो कॉफिया 200 की एक मात्रा दर्द शांत कर देगा। इग्नेशिया तथा थूजा में भी ऐसा दर्द है जिसमें सिर में कील की-सी चुभन होती है।
(6) अधिक कॉफी पीने से होने वाले रोग का प्रतीकार – अधिक कॉफी पीने से अगर अनिद्रा-रोग हो जाय, तब कॉफिया काम नहीं करेगा, तब इस रोग तथा कॉफी से होने वाले अन्य रोगों के लिये नक्स वोमिका, इग्नेशिया तथा कैमोमिला लाभदायक हैं। आजकल लोग कॉफी बहुत पीते हैं इसलिये यह जानना आवश्यक है।
(7) शक्ति – 3, 6, 200 (200 शक्ति ज्यादा लाभ करती है। औषधि ‘सर्द’ प्रकृति के लिये है)