गर्म-ठण्डे पदार्थ एक साथ खाने, गर्मी में से आने पर ठण्डे पदार्थ खा लेने, मौसम के विपरीत आहार लेने, मौसम बदलने आदि कारणों से सर्दी-जुकाम हो जाता है । इसमें नाक से पानी आता है, श्वास लेने में कष्ट होता है, छींकें आती हैं, हरारत बनी रहती हैं । रोग बढ़ जाने पर आँखों से भी पानी आता है, ऑखें लाल पड़ जाती हैं, सिर-दर्द रहता हैं, नाक से गाढ़ा श्लेष्मा आता है, आलस्य रहता है ।
सर्दी-जुकाम की प्रथम अवस्था में- एकोनाइट 30, 3x – सर्दी-जुकाम हो जाने पर सबसे पहले इसी दवा को देना चाहिये । यदि साथ में बुखार भी हो तो भी यही दवा अच्छा काम करेगी । होमियोपैथी के अनुसार एकोनाइट प्राय: सभी रोगों की प्रथम अवस्था में काम करने वाली अच्छी दवा है ।
एकोनाइट से लाभ न होने पर- कैम्फर Q – यदि एकोनाइट से लाभ न हो तो कपूर से बनी दवा कैम्फर के मूल अर्क को देना चाहिये । इसे देने से सर्दी-जुकाम निश्चित ही दूर हो जाता है ।
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नाक व ऑखों से पनीला स्राव आने पर- एलियम सिपा 30, 200 – यदि सर्दी-जुकाम में नाक व आँखों से पनीला स्राव आता हो तो यह दवा बेहद उपकारी हैं । इस दवा को देने से तुरन्त ही लाभ मिलने लगता हैं।
खुली हवा में कष्ट, गर्म कमरे में आराम – आर्सनिक एल्ब 12, 30 – ऐसी सर्दी जसमें पानी-सा स्राव निकले और रोगी को गर्म कमरे में आराम मालून पड़े परन्तु खुली हवा में कष्ट और भी बढ़ जाये तो इस दवा से बेहद लाभ होता है ।
रोगी सर्द प्रकृति का हो व जुकाम छकों से शुरू हो- नक्स वोमिका 12, 30 – रोगी को जुकाम छींकों से शुरू होता है और इसका स्राव पनीला अर्थात् पानी की तरह होता है। इस दवा का एक और लक्षण है – इसमें रोगों की नाक दिन में बहती है और रात में बंद हो जाती है।
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नाक बंद हो जाने पर- स्टिक्टा पल्मोनेरिया 3, 6 – बार-बार नाक बंद हो जाये व रोगी को बार-बार छिन्कना पड़ता हो तो ऐसी स्थिति में यह दवा लाभप्रद हैं ।
दम घुटन अथवा श्वास लेने में कष्ट-इपिकाक 12,30 – डॉ० कैन्ट ने इपिकाक को बच्चों का मित्र कहते हुये लिखा है कि इसे डच्चों के ब्लॉकाइटिस, निमोनिया आदि रोगों- जिनमें छानी में घर्र-घरं की आवान होती है और &वास लेने में अत्यधिक कष्ट होता हैं- में देने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। जुकम में भी इपिळाक से अव्छा लाभ होता है। इस दवा का क्षेत्र सम्पूर्ण श्वसन-नलिका हैं अतः ५वास-यंत्र सम्वन्धी प्रत्येक अवस्था में इस्का प्रयोग अधिकारपूर्वक किया जाता है। इपिकाक का प्रयोग इसलिये दमा के रोगियों में बहुतायत से सफलतापूर्वक होता है। यहाँ तक कि खाँसी की तीव्र अवस्था में भी इससे अच्छे परिणाम मिलते हैं । जुकाम ब श्दाम की सभी अबस्थाओं में यह लाभप्रद हैं |
जुकाम पुराना पड़ जाये और गढ़ा स्रव हो- पल्सेटिला 30 – तव जुकाम पुराना पड़ जाये और नाक सं गाढ़ा स्राव बहे तो इस दवा को देने से बहुत लाभ होता हैं ।
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पुराने गाढ़े स्राव पर- काली बई क्रोम 30, 200– पुराना जुकाम जिसमें नाऊ से मढ़ा स्राव आता हो, ऐसी स्थिति में पह दवा देनी चाहियें । कुछ चिकित्सक इस दवा को 1M शक्ति में दिये जाने का समर्थन करते हैं ।
पुरानी सर्दी व जुकाम पर- आयोडन Q – आयोडम मूल अर्क की एक बूंद एक गिलास पानी में दिन में दो बार लेने से पुरानो सदी व जुकाम तथा छींकों में वेशेष लाभ होता है। परन्तु सावधानी यह रखनी चाहिये केि आयडम मूल अर्क यदि त्वचा पर लग जाये तो त्वचा पर जख्म बन जाते हैं इसलिये