नेत्र रोग भी कई प्रकार के होते हैं जिनमे प्रमुख हैं – नेत्र श्लेष्मक कला – शोथ, जिसे ( Conjunctivitis ) भी कहते हैं। यह रोग किसी भी आयु और मौसम में हो सकता है किन्तु पतझड़ और वसंत में अधिक होता है । इस रोग में आँखों में लाली या कीचड़ आना, आँखों में किरकिराहट, रोशनी से तकलीफ आदि लक्षण रहते हैं। आँखों में सूजन भी आ जाती है। यह एक संक्रामक रोग है अतः जिस व्यक्ति को यह रोग हुआ है उसके संपर्क में रहने से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को यह रोग हो सकता है।
इस रोग का प्रसार रोगी द्वारा इस्तेमाल किये गए कपड़े, बर्तन, तौलिया आदि का प्रयोग करने, तालाब या नदी में नहाने से होता है। अतः जब इस रोग का प्रकोप फैला हो तो अन्य स्वस्थ व्यक्तियों को रोगी के सम्पर्क में नहीं आना चाहिए और उसके द्वारा इस्तेमाल किये गए कपड़े, बर्तन, रुमाल आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस रोग के बचाव के पूरे सुरक्षात्मक उपाय, जहाँ तक संभव हों करने चाहिये।
आँख आने का होम्योपैथिक दवा
एकोनाइट 30 – यह वतसनाभ से बनी ऐसी दवा है जो होमियोपैथी के सिद्धान्त के अनुसार किसी भी रोग की प्रथमावस्था में इस्तेमाल की जा सकती है। परन्तु अक्सर देखा गया है कि जब रोगी चिकित्सक के पास आता है तब तक इस दवा का प्रयोग का समय समाप्त हो चुका होता है क्योंकि रोगी अक्सर चिकित्सक के पास उसी स्थिति में आते हैं जब रोग अधिक बढ़ चुका होता है। अर्थात वे बेलाडोना के अधिकार में आ चुके होते हैं। एकोनाइट दवा रोग के प्रारंभ में दिया जाता है। वैसे इस रोग की स्थिति में नाड़ी तीव्र रहती है व अन्य उपसर्ग तीव्रता से बढ़ते हैं।
जानें एकोनाइट के होम्योपैथिक उपयोग के बारे में
बेलाडोना 30 – बेलाडोना एक ऐसी दवा है जिसके लक्षण में आते ही रोगी चिकित्सक के पास आता है। इस दवा के प्रमुख लक्षण इस प्रकार है – किसी भी रोग की अवस्था इ लाली, दर्द व इस रोग में आँखे लाल, सूजन व पीड़ा, प्रकाश या रोशनी आदि के प्रति तीव्र संवेदनशीलता आदि।
अर्जेण्टम नाइट्रिकम 30, 200 – चाँदी धातु को शक्तिकृत करके यह दवा बनाई जाती है। इस रोग में इस दवा का प्रयोग प्रतिषेधक दवा के रूप में भी होता है परन्तु आँखों में कीचड़ आने व आँखों के अन्य उपसर्गो के शमन हेतु यह दवा विशेष हितकारी है। Conjunctivitis रोग में इस दवा का सर्वोपरि स्थान है। आँखों में किरकिराहट की स्थिति में इससे पर्याप्त लाभ होता है ।
यूफ्रेशिया 30 – यह आँखों के तमाम रोगो में इस्तेमाल होने वाली एक श्रेष्ठ दवा है। आँखों में आँसू आना, प्रकाश में रोग वृद्धि, आँखों में अग्र भाग में तकलीफ होना आदि पर इसका प्रयोग होता है।
जानें यूफ्रेशिया के होम्योपैथिक उपयोग के बारे में
पल्सेटिला 30 – इसके प्रयोग से सूजन कम होने लगती है और पलकों का चिपकना ठीक हो जाता है। नेत्र गोलकों में होने वाली तकलीफ व गर्मी से होने वाला कष्ट कम हो जाता है ।
जानें पल्सेटिला के होम्योपैथिक उपयोग के बारे में
अनुभव – इस रोग के हो जाने पर रोगी को पहले दिन अर्जेण्टम नाइट्रिकम 200 की मात्रा दें । फिर दुसरे दिन पल्सेटिला 200 की एक मात्रा दें । फिर तीसरे दिन बेलाडोना 30 और यूफ्रेशिया 30 को पर्यायक्रम से दें, दिनभर में कुल चार मात्रा दें अर्थात दोनों दवायें दो दो बार दें। इस उपचार से एक दो दिन में ही आराम आने लगता है। तीसरे दिन वाला वाला इलाज़ रोग ठीक हो जाने तक लगातार जारी रखें।