[ Red Coral ] – यह औषधि एक तरह की आक्षेपिक स्नायविक खांसी और हूपिंग खांसी में विशेषत: जब खांसी का दौरा बहुत ही तेजी के साथ पड़ता है और अधिक अन्तर न देकर खांसी के दौरे बार-बार पड़ते हैं तब इस औषधि के प्रयोग से विशेष लाभ होगा। खांसी के दौरे पड़ने से पहले दम घुटने जैसी अनुभूति होती है और फिर रोगी का शरीर निढ़ाल हो जाता है। बच्चे का चेहरा नीला पड़ जाता है, वह जो कुछ भी खाता पीता है सब वमन के साथ निकल जाता है, वमन के साथ कड़ा और डोरी की तरह श्लेष्मा निकलता है, नाक से बिपुल मात्रा में स्राव बहने लगता है, हवा सहन नही होती। नजला, जिसमें बलगम की अधिक मात्रा गले के अन्दर गिरती है। खांसते समय ऐसी आवाज आती है जैसे कुत्ता भौंकता है, गहरा श्वास लेने पर ठण्डी हवा लगती है।
चर्म – मूंगे की तरह लाल रंग के चौड़े-चौड़े घाव हो जाते है, जिनका रंग बाद में गहरा लाल फिर बदल कर तांबे जैसा हो जाता है। हाथ और पैर के लक्षणों में एक्जिमा होना।
शरीर से कपड़े उतार देने से जाड़ा मालूम होना और कपड़े पहनने से गरमी लगना। बांये निचले जबड़े में दर्द होता है तथा रोगी की नमक खाने की अत्यधिक इच्छा होती है।
सम्बन्ध – ड्रासेरा, बेला, मेफाई, कास्टि से तुलना करो।
मात्रा – 3 से 30 शक्ति ।