व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग
(1) दर्द होने के बाद फट-फट शब्द के साथ पीले दस्त आना।
(2) जरा भी खाने या पीने के बाद शौच की हाजत होना – इस लक्षण पर अन्य औषधियों के साथ तुलना ।
(3) पुराना एक्जिमा; अण्डकोश का एक्जिमा: इन्द्रिय तथा योनि में खुजली ।
(4) मध्यरात्रि में दमे की-सी खांसी का दौर पड़ना ।
(5) बच्चा जिस स्तन की पीये उसी स्तन के पीछे की कन्धे की हड्डी में दर्द होना ।
(1) दर्द होने के बाद फट-फट शब्द के साथ पीले दस्त आना – क्रोटन टिगलियम औषधि को आयुर्वेद तथा ऐलोपैथी में दस्त लाने के लिये दिया जाता है। यह जबर्दस्त दस्तावर दवा है। होम्योपैथी का सिद्धांत है कि स्वस्थ व्यक्ति में औषधि जो लक्षण उत्पन्न करती है, अगर रोग में वे लक्षण पाये जायें, तो वही औषधि अपने शक्तिकृत रूप में उन्हीं लक्षणों को दूर कर देती है, इसीलिये होम्योपैथी में यह दवा दस्तों को रोकने के लिये दी जाती है। होम्योपैथी के इस सिद्धान्त का कि ‘सम: सम शमयति’ इस औषधि से अच्छा दूसरा सबूत क्या हो सकता है। इस दवा से दस्त रुक जाते हैं। दस्त रुकने का यह मतलब नहीं कि हर प्रकार के दस्त इससे रुक जाते हैं। इसके दस्तों का अपना स्वरूप है जिन पर यह औषधि उपयोग है। वह स्वरूप क्या है? इस औषधि से जो दस्त ठीक होते हैं। उनमें निम्न लक्षण होने चाहियें
(i) पहले पेट में दर्द के साथ कलकल शब्द हो, जैसे आंत में पानी भरा हो।
(ii) पीला, पनीला दस्त आये।
(iii) सारा दस्त बून्दक की गोली की तरह सर्राटे से निकल जाय।
(iv) जरा भी खाने या पीने के बाद दस्त ही हालत हो जाय।
(v) दस्त में फट-फट का सा शब्द होना
(2) खाने-पीने के बाद शौच की हाजत होना – इस लक्षण पर अन्य औषधियों के साथ तुलना – इस औषधि में जरा भी खाने या पीने के बाद शौच की हाजत हो जाती है। यह लक्षण अन्य भी अनेक औषधियों में है। उनकी तुलना हम आगे दे रहे हैं।
खाने पीने के झट बाद पाखाने की हाजत की मुख्य-मुख्य औषधियां
( khana khane ke baad dast ki dawa )
(i) एलू – खाने या पीने के बाद हाजत हो जाती है, टट्टी अपने-आप, अनजाने निकल जाती है, पेट में गुड़-गुड़ शब्द होता है। इन लक्षणों क साथ मल-द्वार में भारीपन रहता है, जो इसका निर्देशक-लक्षण है।
(ii) अर्जेन्टम नाइट्रिकम – खाने या पीने के बाद हाजत, परन्तु इसका निर्देशक-लक्षण है-रोग का कारण। रोग का कारण यह होता है मिठाई अधिक खाना या ‘स्नयविक-उत्तेजना’ (Nervous excitment).
(iii) आर्सेनिक – खाने या पीने के बाद हाजत, परन्तु इसका लक्षण है – अत्यंत निर्बलता, बेचैनी और थोड़े-थोड़े पानी के लिए बेहद प्यास।
(iv) चायना – रात को रोग का बढ़ना, दस्त में अपच हुए भोजन का निकलना, और पेट का फूल जाना।
(v) फेरम मेट – रात को रोग का बढ़ना, दस्त में अपच हुए भोजन का निकलना, चेहरे का स्वल्प-प्रयास से झट-से लाल हो जाना, दर्द न होना, गुदा प्रदेश का निकल पड़ना, रोग का पुराना होना।
(vi) नक्स वोमिका – शराब आदि से डायरिया या डिसेन्ट्री, व्यसन-विलास, व्यभिचार आदि से रोग होना, तेज दवाओं का प्रयोग, पाखाना साफ़ न होकर बार-बार जाना, भोजन के बाद ऊंघाई आना, नींद से ताजा अनुभव न करना।
(vii) पोडोफाइलम – खाने या पीने के बाद हाजत, पाखाने का अत्यंत बदबूदार होना, सुबह 6 से 12 बजे दोपहर तक रोग का बढ़ना, शौच के समय या बाद को मल-द्वार का बाहर निकल पड़ना, पावों तथा जांघों में ऐंठन का होना।
(viii) पल्सेटिला – पनीला, भूरे और कभी-कभी पीले रंग का दस्त जिसमें अपच-भोजन के टुकड़े तैर रहे हों, दस्त वेग से निकले। दस्त हो चुकने के बाद भी दर्द बना रहता है। मरोड़ रहता है, पीठ में ठंडक का अनुभव होता है, दस्त के बाद गुदा-प्रदेश में जलन होती है।
(3) पुराना एक्जिमा, अंडकोश का एक्जिमा, इंद्रिय तथा योनि में खुजली – जमाल गोटे को घिसकर अगर त्वचा पर मला जाय, तो खुजली होने लगती है, त्वचा में जलन होने लगती है, छाले पड़ जाते हैं। इन लक्षणों के आधार पर त्वचा के एक्जिमा में शक्तिकृत क्रोटन बहुत लाभप्रद है। छोटे बच्चों के सिर पर छोटे दाने उभर आते हैं, उनमें पस पड़ कर सिर पर दूधिया पपड़ी जम जाती है। कुछ देर बाद जाती है जिसे छूने से दर्द होता है। जब सारी पपड़ी उतर जाती है, एक जगह साफ हो जाती है तो सिर पर दूसरी जगह ऐसी ही फुन्सियां उभरने लगती है। इस प्रकार यह पुराना एक्जिमा चलता रहता है। ये दाने केवल सिर पर ही नहीं, आंखों के आस-पास, कनपटियों पर, चेहरे पर, सिर के ऊपर-सब जगह हो सकते हैं। इस प्रकार की दूधिया-पपडी के लक्षण-जो दानों के रूप में प्रकट होते हैं, पपड़ी बन जाती है, झड़ जाती है, फिर दाने बनने लगते हैं-सीपिया में भी पाये जाते हैं, उसमें भी पपड़ी उतरने के बाद त्वचा लाल हो जाती है तथा छूने से दर्द होता है। इस प्रकार के बच्चों के सिर के एक्जिमा में क्रोटन तथा सीपिया दोनों में भेद करना कठिन हो जाता है। बच्चों की ‘दूधिया-पपड़ी’ में सीपिया ही बहुधा निर्दिष्ट-औषधि होती है, परन्तु अगर इस पपड़ी के साथ बच्चे को डायरिया भी हो, तो क्रोटन ही देना उचित है।
अण्डकोश का एक्जिमा – इस एग्जीमा का विशिष्ट-लक्षण यह है कि यद्यपि खुजली बड़ी तेज होती है, और रोगी इस भयंकर खुजली में खुजलाना चाहता है, परन्तु त्वचा छूने से इस कदर चिरमिराती है कि रोगी खुजली नहीं कर सकता। इस औषधि का विशेष लक्षण अण्डकोश की खुजली भी है। अण्डकोश सूज जाता है, उसे छूआ तक नहीं जा सकता, इस खुजली से रोगी चैन से सो भी नहीं सकता। पुरुष की जननेन्द्रिय तथा स्त्री की योनि में भी बेहद खुजलाहट मचती है। अण्डकोश की खुजली इस औषधि का विशेष-लक्षण है।
(4) मध्य-रात्रि में दमे की-सी खांसी का दौर पड़ना – इस औषधि में दमे से मिलती-जुलती खांसी.के लक्षण हैं। मध्य-रात्रि में रोगी इस खांसी से गाढ़ी नींद में से जाग उठता है। तेज खांसी के साथ दम भी घुटता है, गला रुंधता है, रोगी लेट नहीं सकता, बैठ जाता है, बिस्तर में तकिये के सहारे टिका रहता या आराम-कुर्सी पर पीठ का सहारा लेकर बैठा रहता है। खांसी इतनी उग्र होती है कि निकट के सम्बन्धी शक करने लगते हैं कि कहीं टी.वी. का रोग तो नहीं आ रहा। श्वास-प्रणालिका में बैचेनी महसूस होती है, जरा-सी भी हवा अन्दर जाते ही खांसी शुरू हो जाती है। रोगी गहरा सांस नहीं ले सकता। कुछ दिन यह हालत रहकर रोगी के शरीर पर कहीं दाने निकल आते हैं, दाने निकलने पर दमे में आराम मिलता है परन्तु ज्यों ही दाने समाप्त होते हैं, त्यों ही वही दमे की-सी खांसी का दौर पड़ने लगता है। अगर यह हालत देर तक चलती रहे, तो रोग पुराना हो जाता है। इस प्रकार की दमे की-सी खांसी, जिसमें खांसते-खांसते दम भी चढ़ने लगे, मध्य-रात्रि को दौर पड़े, रोगी लेट न सके, आराम-कुर्सी पर ही आधार लेटे-लेटे बैठा रहे, क्रोटन औषधि से ठीक हो जाती है। इसमें भी क्रोटन का चरित्रगत-लक्षण-त्वचा का रोग-आधार में काम कर रहा होता है क्योंकि इस खांसी का दानों के दब जाने से संबंध है, वे दाने जो क्रोटन के एक्जिमा जैसे होते हैं।
(5) बच्चा जिस स्तन को पीये उसी स्तन के पीछे की कन्धे की हड्डी में दर्द होना – एक अन्य लक्षण, जिसे कई जगह आजमाया जा चुका है, यह है कि बच्चा माता के जिस स्तन को पीता है उसी स्तन के पीछे-अस्थि-फलक-की हड्डी में दर्द शुरू हो जाता है। कई रोगी कहते हैं कि ऐसा अनुभव होता है जैसे रस्सी से पीछे कन्धे की ओर खींच पड़ रही है। डॉ० कैन्ट कहते हैं कि एक स्त्री जिसे यह दर्द कई दिन से था इस औषधि से ठीक हो गई। इससे यह पता चलता है कि क्रोटन कई दिन के इस प्रकार के पुराने दर्द को भी ठीक कर देता है।
(6) शक्ति – 6, 30