परिचय : 1. इसे आद्रक (संस्कृत), अदरख-आदी (हिन्दी), आदा (बंगला), आल (मराठी), आन्दू (गुजराती), इंजि (तमिल) तथा अल्लम (तेलुगु) कहते हैं। इसके सूखे कंद को ‘शुण्ठी’ या ‘सोंठ’ कहते हैं। लैटिन में इसे ‘जिंजिंबार औफिसिनेल’ कहते हैं।
2. सोंठ का पौधा 3-4 फुट ऊँचा और पत्ते 1-12 इञ्च लम्बे होते हैं। 23 इंच लम्बे डंठल पर गहरे बैंगनी रंग के फूल आते हैं। यह समस्त भारत के उष्ण तथा आद्र प्रदेशों में विशेषत: मद्रास, बंगाल, कोचीन में पाया जाता है।
रासायनिक संघटन : इसमें हल्के पीले रंग का सुगन्धित, उड़नशील तेल 1-5 प्रतिशत पाया जाता है। इसमें जिंजिरोल तथा जिंजरीन नामक तत्त्व होते हैं।
सोंठ के गुण : यह रस में चरपरा, लघु, तीक्ष्ण, उष्ण तथा पचने पर मधुर-विपाकी है। यह रेचन, दीपन, शूल-प्रशामक उत्तेजक, कफध्न, रक्तशोधक और वातरोगनाशक है।
सोंठ के औषधीय प्रयोग ( sonth powder benefits in hindi )
1. पेशाब के समय दर्द : पेशाब के समय दर्द तथा रक्त आता हो तो सोंठ पीसकर दूध में छानकर मिश्री मिलाकर देने से रोग ठीक हो जाती है।
2. आमवात : आमवात में सोंठ और गोखरू का काढ़ा दें।
3. कर्ण-शूल : अदरख का रस गर्म कर या तेल में मिलाकर कान में डालने से कर्णशूल बन्द हो जाता है।
4. बिच्छू के काटने पर : बिच्छू काटा हो तो सोंठ को पानी में घिसकर नस्य देना चाहिए। जिस तरफ बिच्छू ने काटा हो, उसके दूसरी ओर नस्य देने तथा आँख में मदिरा डालने से भी दंश की वेदना तुरन्त शान्त होती है।
5. शिर:शूल : सोंठ को घिसकर उसका 4 बूंद पानी आँखों में डालने से शिर:शूल तुरन्त बन्द हो जाता है।
6. शोथ : 3 माशे से 1 तोले तक सोंठ गुड़ के साथ लेने से शोथ, बवासीर और पाण्डुरोग मिट जाते हैं।
7. वात-श्लेष्म-ज्वर : सोंठ 3 माशा, तुलसी 7 पत्ती, कालीमिर्च 7 दाना, एक पाव पानी में पकाकर चीनी मिलाकर गरम-गरम पीने से इन्फ्लूएंजा, जुकाम, खाँसी और सिर-दर्द दूर हो जाता है।
8. कमर दर्द में लाभ : कमर दर्द में सोंठ को थोड़े से पानी में उबाल कर रख लें। जब पानी ठंडा हो जाये तो उसमे एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर रोजाना सेवन करें। कुछ ही दिनों में दर्द चला जायेगा।
9. कब्ज : सोंठ को गुनगुने पानी से साथ सेवन करने से पाखाना खुल कर आता है। सोंठ कब्ज का रामबाण इलाज है।
10. पाचन शक्ति : सोंठ को गुड़ के साथ खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।