यह रोग अजीर्ण-रोग का ही अगला हिस्सा है अर्थात् जब अजीर्ण-रोग पुराना हो जाये तो यह रोग उत्पन्न होता है । जब भोजन का पचना बन्द हो जाता है तो आगे जाकर मन्दाग्नि उत्पन्न हो जाती है । जब पुराना भोजन ही न पचेगा तो नये के लिये भूख कहाँ से लगेगी- इसीलिये सामान्यतः यह रोग अजीर्ण के पुराने पड़ने पर ही होता है पर कुछ विशेष कारणों से स्वतन्त्र रूप से भी उत्पन्न हो सकता हैं । इसमें अजीर्ण के ही लक्षण उग्र रूप में उत्पन्न होते हैं । इसमें लक्षणानुसार अजीर्ण-रोग की प्रायः सभी दवायें दे सकते हैं । अन्य दवाओं का वर्णन यहाँ दे रहे हैं ।
जेनशियाना लुटियाना Q- जिस भी कारण से भूख न लगती हो, पहले उस कारण के उपचार के लिये दवा लें । फिर इस कारण के दूर होने पर इस दवा की 5-5 बूंदें पानी के साथ खाना खाना से आधा घण्टे पहले लेने से भूख खुलकर लगने लगती हैं । किसी बीमारी के बाद भूख नष्ट हो गई ही तो भी यही दवा दें |
इग्नेशिया 200- खाने-पीने की वस्तुओं के प्रति घृणा तो न हों परन्तु मन में खाने के लिये इच्छा ही उत्पन्न न हो तो दें ।
रसटॉक्स 30, 200– किसी भी वस्तु के लिये भूख का अभाव होने पर अत्यन्त लाभप्रद हैं ।