किसी अंग की त्वचा पर घाव जैसा हो जाता है और उसमे सूजन, लाली, जलन व दर्द पैदा हो जाते हैं और हर वक्त मवाद या पानी जैसा स्राव होता रहता है उसे ही अकौता के नाम से जाना जाता है। इसमें खुजली बहुत मचती है। कभी कभी ऐसा अकौता भी हो सकता है जिससे किसी प्रकार का कोई स्राव नहीं होता ।
सोरिनम 200– खुजली और जलन, रात्रि में रोग बढ़ जाना और खासकर खोपड़ी के अकौता रोग में इसका प्रयोग अत्यन्त लाभप्रद सिद्ध होता है।
रसवेनेटा 30- डॉ० क्लार्क के मतानुसार यह इस रोग की सर्वोत्तम औषधि तो 1M शक्ति की एक खुराक हर 15 दिन में प्रयोग करें ।
हिपर सल्फर 200- खासकर जब मवाद की मात्रा ज्यादा मालूम पड़े तव इसका प्रयोग लाभकारी सिन्द्र होता है।
एल्युमिना 6- जब रोग पुराना हो जाये, प्रदाहित जगह सूखकर सख्त हो जाये, पपड़ी जम जाये, खुजलाहट हो और रोगी खुजलाते-खुजलाते खून निकाल दे तो यह दवा लाभकारी सिन्द्र होती है।
सल्फर 30- खासकर जब रोग पुराना पड़ जाये तब इस दवा को दें। निम्नशक्ति का प्रयोग करने पर कुछ राहत महसूस हो तो इसी दवा की 1M शक्ति की एक खुराक सप्ताह में एक बार प्रयोग करनी चाहिये ।