स्वप्नदोष तो वह स्थिति होती है जबकि सोते समय अनैच्छिक रूप से वीर्यपात हो जाता है लेकिन अनैच्छिक वीर्यपात वह स्थिति होती है जबकि किसी भी समय (जैसे- मूत्रत्याग करते समय, परिश्रम करते समय, हँसते समय, चलते समय, कोई भी श्रृंगारपरक पुस्तक आदि पढ़ते समय इत्यादि स्थितियों में) अनैच्छिक रूप से वीर्यपात हो जाता है । इस रोग के लगातार बने रहने से व्यक्ति एकदम कमजोर और निस्तेज हो जाता है । इस रोग से बचने का सर्वप्रथम उपाय यही है कि बुरी संगत, बुरी पुस्तकों और बुरी फिल्मों से दूर रहा जाये । साथ ही, रोगी को पौष्टिक भोजन लेना चाहिये तथा उचित व्यायाम करना चाहिये । काम-संबंधी विचारों से दूर रहना चाहिये। इस रोग में लक्षणानुसार वह सभी दवायें दी जा सकती हैं जो कि स्वप्नदोष में दी जा सकती हैं । अन्य कुछ दवायें यहाँ बता रहे हैं
काली ब्रोम 30- शरीर में सदैव काम-भावना बनी रहे, जरा-सी भी रसिकता भरी बात सुनते ही वीर्यपात हो जाये तो लाभप्रद है ।
सल्फर 30- यह अनैच्छिक वीर्यपात की उत्तम दवा है । अन्य लक्षणों के आधार पर देनी चाहिये ।
बोविस्टा 30- अत्यधिक भोग-विलास के कारण अनैच्छिक वीर्यपात की स्थिति उत्पन्न हो जाने पर यह दवा देनी चाहिये ।
कॅथरिस 30- वीर्यपात के बाद सारे शरीर में जलन रहे, वीर्यपात के बाद घण्टे-दो घण्टे तक निगाह धुंधली रहे, भयानक कामोत्तेजना हो, जननेद्रिय को स्पर्श करते ही वीर्यपात हो जाये तो इन लक्षणों में लाभप्रद है ।
सिना 200, 3x- पेट में कीड़े होने के कारण अनैच्छिक वीर्यपात हो जाता हो तो लाभप्रद हैं ।
काली फॉस 30, 6x- रोग के कारण आने वाली मानसिक कमजोरी को दूर करती है और उत्साह जगाती है ।