इस प्रसिद्ध औषधि की प्रधान क्रिया शरीर के सभी अंशों की सिम्पैथेटिक-नर्व में क्षणिक शक्ति को बढ़ाना है। एलोपैथगण इसका इंट्रावेनस, कभी-कभी सब-क्यूटिनस इंजेक्शन भी उपयोग करते हैं। इसकी क्रिया बड़ी तेजी से प्रकट होती है तथा तेजी से ऑक्साइडेशन हो जाता है, इसलिए इसका कोई इरिटेशन या रिएक्शन नहीं होता ; किन्तु इसकी क्रिया हृत्पिण्ड ( myocardial ) व आर्टरी के अपने ऊपर होने के कारण उनके कार्यों में बड़ी तेजी से परिवर्तन लाता है, इसलिए कभी भी कोई इसका बार-बार उपयोग न करें।
एड्रिनैलिन की प्रधान क्रिया – सिर से लेकर मेरुदण्ड के अन्दर से होकर मेरुपुच्छ तक शरीर के सभी नर्व को क्षण भर के लिए शक्ति प्रदान करता है, आर्टरी के अन्तिम भाग में संकुचन होना, इसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाती है, नाड़ी धीर होती है, हार्ट बीट तेज होता है। ग्लैंड ( hepatic and pancreatic ) की क्षमता बढ़ती है, तेज श्वास-क्रिया व श्वास कष्ट घट जाता है, आँखें जरायु इत्यादि की पेशियाँ संकुचित होती है, पाकस्थली, रेक्टम, जरायु, मूत्रनली, प्रभृति की कैपिलरी अर्थात कौशिक-शिरा के रक्तस्राव में जहाँ इसके बाहरी प्रयोग की सुविधा है, वहां प्रयोग करने पर बहुत जल्द रक्तस्राव बंद हो जाता है।
आँख, नाक, गला, लैरिंग्स प्रभृति स्थानों में जब रक्त सम्पूर्ण बंद कर ऑपरेशन करने की आवश्यकता होती है तब, स्प्रे या रुई से प्रयोग करने पर शीघ्र ही रक्त बंद हो जाता है।
न्यूराइटिस, न्यूरैल्जिया, गठिया-वात व पेशी वात में इसके मरहम का बाहरी प्रयोग होता। है
फुस्फुस के नए रक्तसंचय में व जहाँ रोग में बहुत श्वास-कष्ट हो, तेज स्वास-प्रस्वास, हृदय गति रुक जाने ( हार्ट फेल ) की सम्भावना अधिक हो, वहां एड्रिनैलिन क्लोराइड 10 बून्द, ड्रॉपर की सहायता से बून्द-बून्द कर एक-दो घण्टे के अंतर से 2-3 बार जीभ के नीचे दें, विशेष फायदा होगा। होम्योपैथिक औषधि सेवन सेवन करने के साथ आवश्यकता पड़ने पर इसके प्रयोग से सम्भवतः होम्योपैथिक औषध की क्रिया कभी नष्ट होगी।
एड्रिनैलिन दवा – जल, हवा, रौशनी इत्यादि से नष्ट हो जाती है, इस लिया सावधानी से रखें।
दवा पीने के लिए उपयोग हेतु – 5 से 30 बून्द और दूसरी से ६ठी विचूर्ण शक्ति।