इस दवा की क्रिया है ऑक्सीजन देना और रक्त के टॉक्सिन ( दूषित पदार्थ ) को नष्ट करना, इसलिए सारे क्षयकारी रोगों में उपयोगी है। इससे लिवर व लिवर धमनी की दशा परिवर्त्तित होकर क्रमशः ख़राब होती रहने पर फायदा होगा। इनके अलावा – भूख न लगना, पाकस्थली का प्रदाह, पेशाब में एल्बुमेन, कास्ट्स व रक्त, सारे अंग या एक अंग में कम्पन, सिर चकराना, हिस्टीरिया व उदासीनता, अन्धा हो जाना, रक्तहीनता, दुर्बलता, आँख, नाक व गले में इरिटेशन, पुराना वात, बहुमूत्र, सारी छाती भर में दबाव महसूस होना, हृत्पिण्ड रक्त से भरा, गठिया का पुराना रोग, इन सब उपसर्गों व लक्षणों में सफलता के साथ vanadium दवा का उपयोग होता है।
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ट्यूबरकुलोसिस की प्रारम्भिक दशा में यह पाचनशक्ति बढ़ाकर टॉनिक के रूप में काम करता है।
वैनीडियम दवा की तुलना आर्से, फोस्फो से की जाती है।
क्रम – 6 से 30 शक्ति।