(1) मूत्राशय पर विशेष प्रभाव – इस औषधि की मूत्राशय पर विशेष क्रिया है। पेशाब करने की बार-बार हाजत होती है, इतनी कि रुका नहीं जा सकता। मूत्राशय में ऐसा दर्द होता है जैसे पूरा भरा हुआ हो, परन्तु मूत्र निकलने के बाद भी मूत्राशय भरा का भरा प्रतीत होता है, और मूत्राशय का दर्द भी बना ही रहता है। मूत्र करने के बाद सख्त दर्द होता है। मूत्र करते समय भी मूत्र-प्रणाली में काटता हुआ जलन सहित दर्द होता है। गोनोरिया के लिये, मूत्राशय से रुधिर निकलने पर इसका सफल प्रयोग किया जाता है। मूत्राशय का सारा प्रदेश छूने से दर्द करता है, यह दर्द अण्डकोश तक अनुभव होता है। वृद्धा स्त्रियों के अपने-आप पेशाब निकल जाने में भी यह औषधि लाभ करती है, इसके प्रयोग से मूत्राशय पर नियन्त्रण हो जाता है। बच्चों के भी दिन या रात को अपने आप पेशाब निकलते रहने पर यह लाभ करती है। कैन्थरिस से लाभ न होने पर इसके प्रयोग से लाभ होता है। मूत्र-प्रणाली की जलन इक्विसेटम तथा कैन्थरिस दोनों में है।
(2) शक्ति – 3, 6, 30