वृद्धों का ब्रोंकाइटिस, दमा, छाती धड़कना व अत्यन्त श्वासकष्ट के साथ दमा रोग, ब्रोन्कोरिया, सर्दी में पीब और श्लेष्मा मिला कफ। ऑयल -यूकैलिप्टस 5 बून्द की मात्रा में सिरप टॉलु के साथ सेवन करने और लिनिमेण्ट का बाहरी प्रयोग करने से सड़ी सर्दी में फायदा होता है।
यह औषधि संक्रमणरोधी तथा जीवन के मन्द रूपों को नष्ट करने वाली, बलगम निकालने वाली और पसीना लाने वाली औषधि है। जठरांत्र प्रतिश्याय (gastric and intestinal catarrh) अतानिक मंदाग्नि (atonic dyspepsia), मलेरिया तथा आंतों की गड़बड़ी में इस औषधि की प्रमुख उपयोगिता पाई जाती है।
आमाशय – अधिजठर (epigastrium) तथा ऊपरी पेट के अन्दर दर्द, जिसमें खाना खाने से राहत मिलती है। आमाशय की दुर्दम (malignant) रोगावस्था के साथ रक्त एवं खट्टे द्रव्य का वमन, तिल्ली कठोर तथा सिकुडी हुई, पाचन क्रिया मन्द तथा अत्यधिक बदबूदार हवा। अांतों के अन्दर मन्द-मन्द दर्द होने के साथ अतिसार होने की आशंका। पेचिश के साथ मलांत्र में गर्मी, रक्तस्राव, मल पतला, पनीला, पाखाना जाने से पहले तेज दर्द। अांत्रिक ज्वर के कारण होने वाला अतिसार।
सिर, नाक तथा कण्ठ – व्यायाम करने की इच्छा। मन्द मन्द रक्तसंलयी (dull congestive) सिर दर्द, नजला आंखों में चीस व जलन। नाक बन्द होने जैसी अनुभूति, पतला, पनीला नजला, नाक लगातार बहती रहना, रुकने का नाम ही नहीं लेती, नाक की रीढ़ के आर पार घुटन। पुराना प्रतिश्यायी (catarrhal) पीबयुक्त और दुर्गन्धित स्राव। मुंह और गले में छाले, गले के अन्दर बलगम भरा हुआ होने का अहसास, घावों से युक्त गलतुण्डिकायें (tonsils) एवं प्रदाहित कण्ठ।
श्वास एवं मूत्र – तर दमा, बलगम सफेद, गाढ़ा श्लेष्मा, दमे के साथ अत्यधिक श्वास कष्ट। वयोवृद्ध जनों को होने वाला श्वासनिकाशोथ (bronchitis) शोथ पैदा करने वाली खांसी, रिक्केट रोग से पीड़ित बच्चों को होने वाली काली खांसी। श्वासनलियों से होने वाला श्लैष्मिक स्राव। बदबूदार श्लेष्मा तथा पीब युक्त विपुल बलगम। पेशाब में पीब रहती है तथा मिहेय (urea) कम मात्रा में रहता है, मूत्राशय में नि:सारक शक्ति के अभाव की अनुभूति होती है, जलन और कूथन पेशाब अधिक मात्रा में आता है। मूत्रमार्गी मांसाकुर वृद्धि, सिकुड़न, सुजाक तथा मूत्राशय का प्रतिश्याय (catarrh of bladder) | रोगिणी के मूत्रपथ के अगले भाग में चारों ओर घाव, प्रदर दुर्गन्धित तथा तीखा।
चर्म – परिसर्पीय उदभेद (herpetic eruptions) दुर्गन्धित तथा न भरने वाले घाव, ग्रन्थि विवर्धन (glandular enlargement) तथा जोड़ों पर गांठदार सूजन। अकड़न तथा थकान की अनुभूति। चुभन जैसी अनुभूति, आमवाती दर्द, रात को चलते समय या किसी चीज को उठाने से अधिक दर्द बढ़ जाना। तेज ज्वर, नाड़ी तेज, अविराम एवं आंत्रिक ज्वर।
सम्बन्ध – ऐनाका, हाइड्रेस्टिस, काली सल्फ्यूरि, काइनो, यूकैलिप्टस, टरटीकोरिस।
मात्रा – निम्नतर शक्तियां, 1 से 20 बूंद मूलार्क।