[ मोरक्को देश के एक प्रकार के गुल्म के गोंद – जैसे सूखे रस को पीसकर इसका मूल अर्क बनाया जाता है] – इसमें ‘क्रोटॉन‘ और ‘जैट्रोफा‘ आदि की तरह बहुत परिमाण में दस्त, कै और अतिसार वाली हैजा के से लक्षण प्रकट होते हैं। इसमें हैजा के लक्षण के सिवा मस्तिष्क की उत्तेजना, उनमाद, विकार में अंट संट बकना आदि और भी कई मस्तिष्क के लक्षण उत्पन्न होते है, जिससे पाकाशय-आमाशय प्रदाह (गैस्ट्रो-एन्टेराइटिस) और विसूचिका (डायेरिक- कॉलेरा) आदि बीमारियों में जहाँ – ‘जैट्रोफा‘ और ‘इउफार्बिआ कॉरोलेटा‘ आदि के औषध लक्षणों के साथ मस्तिष्क के और भी कोई लक्षण मौजूद हों वहाँ – यूफोर्बियम का प्रयोग करना उचित है।
उरु-संधि (हिप-ज्वाइंट) और गुदास्थि (coccyx) में दर्द, कैंसर का दर्द, हड्डी के भीतर जलन करने वाला दर्द, इन्फ्लुएंजा की बीमारी में छींक, आँख और नाक से पानी गिरना, सुखी खांसी; कष्टदायक दम, दिन-रात आक्षेपिक सुखी खांसी, गले में होने वाला विसर्प, ग्रैंग्रीन (सड़न), एक्जिमा में पीबा-शुदा दाने, बहुत दिनों का धीमी गति वाला दुरारोग्य घाव इत्यादि कई बीमारियों मे भी – इससे फायदा होता है।
यूफोर्बियम कॉरोलेटा – कृमि के लक्षणों के समान मलद्वार में असह्य खुजली, जिसमे रोगी सो नहीं सकता। छटपटाता और चिल्लाता रहता है। क्रम – 2x । हैजा में कैम्फर से लाभ न होने पर इससे फायदा होगा।