इसका हिन्दी नाम बड़ है। नाना प्रकार के रक्तस्राव में पिप्पल ( ficus religiosa ) जिस तरह विशेष फलदायक है, उसी प्रकार बड़ में भी ठीक उसी तरह की शक्ति दिखाई पड़ती है, बल्कि रक्तशोधक शक्ति इसमें अधिक है। खूनशुदा आँव, अर्श और अन्य रोगों के रक्तस्राव में इसकी कोमल फुनगी का अगला भाग बकरी के दूध के साथ सिझाकर अब भी बहुत लोग उपयोग में लाते हैं। रक्त-पित्त रोग में अथवा अन्य किसी प्रकार के कारण से गला या मुख से रक्त निकलने और अधोगामी रक्त-पित्त में -जहाँ पहले रक्त निकलकर बाद में मल निकलता है, वहाँ इससे विशेष फायदा होगा।
इसके अलावा – रक्त प्रदर, नई या पुरानी खून-शुदा आँव की बीमारी, पेशाब के रास्ते रक्त निकलना, उसके साथ जलन इत्यादि में भी यह फलदायक है।
आँव में रक्तस्राव के साथ पेट में बहुत दर्द रहने पर इसका Q पोटेंसी की 4-5 बून्द की मात्रा में हर 2 घंटे पर देते रहने से तुरंत लाभ प्राप्त होता है।
मासिक धर्म के दौरान ज्यादा रक्तस्राव में भी फाइकस इण्डिका औषधि का उपयोग बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
अधिक शुक्रक्षय के कारण आये हुए स्नायु-दुर्बलता में भी यह औषधि का प्रयोग लाभकारी है।