फोड़े फुंसी का कारण – बालों की जड़ में स्टैफिलोकौकक्स नामक कीटाणु से स्थानीय संक्रमण हो जाता है, जिससे फुंसियां-सी बन जाती हैं। खून खराब होना, या वर्षा ऋतु में आम अधिक खाने या आम के ऊपर के रस के लग जाने से, मच्छर के काटने से फुंसियां हो जाती हैं। शरीर में कभी भी रोम(बाल) के टूट जाने से फोड़ा हो जाता है। त्वचा के नीचे वाले उपादान में जो प्रदाह या सूजन पैदा होकर पीप भर जाती है, वही फुंसी कहलाती है। ज्यादा मिर्च मसाले, तेल आदि खाने से भी फुंसियां निकल आती हैं।
लक्षण – फोड़े तथा फुंसी में पहिले प्रदाह पैदा होती है फिर पीप पैदा होती है। जिस फोड़े फुंसी में मुँह या नोक होती है और फूट जाती है और लपकन तथा कड़ी होती है वह अवसर पक जाती है। कोई-कोई फुंसी बिना पके ही बैठ जाती है। इनमें पीप, पानी, खून आदि भरा रहता है। इनमें दर्द, जलन, लाली, लपकन होती है।
फोड़े फुंसी का इलाज घरेलू आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
( Fode Funsi ke liye Gharelu Upchar )
(1) उड़द की पुल्टिस बाँधने से पीप वाला फोड़ा फटकर आराम पहुँचाता है।
(2) अलसी की पुल्टिस में हल्दी मिलाकर फोड़े पर बाँधने से फोड़ा शीघ्र पककर फूट जाता है और रोगी को राहत महसूस होती है।
(3) तुलसी के पंचांग (फूल, बीज, पत्ते, छाल और जड़) को कूट पीस कर महीन चूर्ण कर लें। इसमें थोड़ा नींबू का रस मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इसे दाद, खुजली, फोड़े के घाव आदि पर लगाने से रोग दूर होता है।
(4) नारियल के तेल में तुलसी के पत्तों का रस, समान मात्रा में मिलाकर मन्दी आँच पर पकायें। जब जल भाग जल जाये और तेल भाग बचे तब इसमें थोड़ा मोम डाल दें और हिलायें। जब मोम (Wax ) पिघलकर मिल जाये तब उतार कर ठण्डा कर लें। यह मलहम फोड़े-फुंसी और जले पर लगाने से फायदा होता है।
(5) इमली के बीजों को उबालकर, पीसकर फोड़े व सूजन पर लगाने से आराम मिलता है।
(6) ग्वारपाठे के पत्तों का गूदा गर्म कर जरा-सी हल्दी मिला कर पुल्टिस की तरह फोड़े या गाँठ पर बाँधने से फोड़ा जल्दी पक कर फूट जाता है और मवाद निकल जाता है।
(7) फोड़े-फुंसी होने पर अमरबेल पीसकर उन पर लगाएँ। ठीक हो जायेंगे।
(8) फोड़ा पकने में आ रहा हो, भयानक टीस मार रहा हो तो पान के पत्ते पर हल्का घी गर्म करके चुपड़कर उसे फोड़े पर बाँध दें। रात को ऐसा करके सो जायें, सुबह तक फोड़ा फूटकर पीप बहने लगेगी।
(9) बरगद के दूध को फोड़े पर लगायें, फोड़ा फूट जायेगा और फूटने पर भी यही दूध लगाते रहें तो घाव भर जायेगा।
(10) बरगद की छाल को गोमूत्र में घिसकर फोड़े पर लगायें। बाँधते ही पकना शुरू हो जाता है।
(11) बरगद के पत्ते को थोड़ा गर्म करके फोड़े पर बाँध दें फोड़ा बहुत जल्दी पक जायेगा।
(12) कबूतर की बीट पाँच, हल्दी का चूरा पाँच ग्राम और पाँच ग्राम सेंधा नमक, दस ग्राम कड़वे तेल में भूनकर पुल्टिस बनायें रात को आक के पत्ते पर रखकर थोड़ा गर्म कर बाँधकर सो जायें। रातों रात फोड़ा पककर फूट जायेगा।
(13) पीपल का पत्ता उल्टी तरफ से हल्का गर्म करके सीधी तरफ शहद चुपड़े और फोड़े पर बाँध दें या तो पककर फूट जायेगा या बैठ जायेगा।
(14) मेथी और जौ बराबर मात्रा में लेकर, पीसकर लेप बना लें। दिन में तीन बार लेप लगायें। मेथी की गर्मी से फोड़ा या गाँठ घुल जायेगी मगर जौ के कारण त्वचा झुलसेगी नहीं।
(15) करेले की जड़ को पीसकर फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
(16) अरबी के पत्तों को जलाकर उसकी राख तेल में मिलाकर लगाने से फोड़े-फुंसी ठीक हो जाते हैं।
(17) मेथी की पुल्टिस बांधने से फोड़े की सूजन कम हो जाती है और दर्द भी दूर हो जाता है।
(18) गाजर को उबालकर उसकी पुल्टिस बनाकर बांधने से जख्म, फुसियां और फोड़े ठीक हो जाते हैं।
(19) बेल की कोपलों को पीसकर पुल्टिस की तरह बांधें। पीसते वक्त पानी न डालें। साथ ही बेल के पत्तों का रस 25-25 मि.ली. की मात्रा में दिन में तीन बार पियें।
(20) नीम की कोपलें छाछ में पीसकर दिन में दो बार फुंसियों पर लेप करें।
(21) पीपल की छाल पीसकर या फिर उसके दूध का फाहा लगाने से भी राहत मिलती है।