हमारे शरीर में रक्त निम्नलिखित कार्य करता है :-
- रक्त भोजन के जज्ब हुए भाग को शरीर के प्रत्येक भाग में पहुँचाता है।
- यह फेफड़ों से ताजा ऑक्सीजन लेकर शरीर में प्रत्येक जगह पहुँचा देता है।
- यह शरीर में काम करने से उत्पन्न हुई कार्बन डाई ऑक्साइड गैस को फेफड़ों से ले जाता है और फेफड़ों से यह हवा बाहर निकाल दी जाती है।
- यह शरीर का तापक्रम (Temperature) कायम रखता है।
- यह पदार्थों को तन्तुओं से लेकर त्वचा तथा वृक्क तक पहुँचा देता है, जहाँ से वे शरीर से बाहर निकाल दिये जाते हैं।
- प्रणाली विहीन ग्रन्थियों (Ductless Glands) के रसों को आवश्यक स्थान पर पहुँचाता है।
- यह शरीर की समस्त ग्रन्थियों (Glands) को आवश्यक पदार्थ प्रदान करता है, जिससे वे अपना काम भली प्रकार कर सकें।
- यह शरीर में रोग उत्पन्न करने वाले कीड़ों को नष्ट करके, हमारे शरीर की अनेक प्रकार के रोगों से रक्षा करता है।
- यह शरीर की गर्मी को 98.04 डिग्री फारेनहाइट स्थिर रखकर हमें जीवित रखता है।
- यह हमारे शरीर को आर्द्र (गीला) रखकर, उसे सूखने से बचाता है।
- यह शरीर के समस्त तन्तुओं को उनका भोजन ऑक्सीजन पहुँचाता है।
नोट – ध्यान रखें कि रक्त के लाल कणों (R.B.C.) का प्रधान कार्य फुफ्फुसों से ऑक्सीजन को प्राप्त करके कोषाओं तक पहुंचाना है।
श्वेत कण (W.B.C.) शरीर के रक्षक कहलाते हैं। जैसा कि हमने ऊपर बतलाया है कि जब कभी बाहर से हमारे शरीर के अन्दर रोग कारक कीटाणु प्रवेश करते हैं तो यह श्वेत कण उनको नष्ट करने के काम में लग जाते हैं। इनके द्वारा ही मानव शरीर कितने ही रोगों से बचा रहता है। ब्लड प्लेटलेट्स का कार्य है कि चोट आदि से कट जाने पर जब रक्त बाहर निकलता है तो उसको यह जमाने में सहायक होते हैं ।
रक्त का प्राकृतिक आपेक्षिक घनत्व 1054-1056 होना चाहिए। वमन तथा अतिसार की अवस्था में रक्त का जलीयांश कम हो जाने से यह बढ़ जाता है तथा कई प्रकार की रक्ताल्पता में यह घट जाता है। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि रक्त जीवन को बनाये रखने एवं उसकी रक्षा करने हेतु प्रधान है अर्थात् वास्तव में ‘रक्त ही जीवन है’।