इस पोस्ट में भिन्न-भिन्न प्रकार के गांठ, सूजन, गिल्टी का इलाज होम्योपैथिक दवा द्वारा बताया गया है।
एकोनाइट लाइकोटेनम – swelling of glands, कन्धा, बगल और स्तन आदि की ग्रन्थियों की सूजन में लाभ करती है।
कोनियम – ये खासकर स्तन की ग्रन्थियों की सूजन में काफी लाभ पहुँचती है।
कार्बो ऐनिमेलिस – बाघी और बगल की गांठ कड़ी हो जाना, पीब नहीं हुई है तो ये दवा प्रयोग करें।
मर्क्यूरियस आयोड और बिन आयोड – जंघासंधि में होने वाले गिल्टी और बाघी इत्यादि में उपयोगी।
लैपिस एल्बा – कंधे की गांठे फूलना, गलगण्ड ( 6 शक्ति में प्रयोग करें )
कैल्केरिया आयोड और कैल्केरिया कार्ब – किसी भी वायुनली के भीतर गिल्टी में उपयोग करें।
थाइरॉयडिनम और आयोडम – गलगण्ड ( enlargement of the thyroid gland ) में बहुत लाभ करती है।
बैराइटा म्यूर – कंधे की, कान के जड़ की, निचले जबड़े की गिल्टी फूलना और कड़ी हो जाने पर लाभ करती है।
कैमोमिला – कर्णमूल-ग्रंथि और तालुमूल-ग्रंथि की सूजन में उपयोगी।
बैराइटा कार्ब – कान में नीचे से आरम्भ होकर गले की ओर सूजन उतरना।
गुयकम – टॉन्सिल (तालुमूल) फूलना, खासकर प्रथम अवस्था में, गलक्षत गले के भीतर बहुत अधिक जलन। मुंह में बहुत सड़ी दुर्गन्ध, रोग की गति जल्दी-जल्दी पकने की ओर बढ़ना।
फाइटोलैक्का – टॉन्सिलाइटिस ( तालुमूल-प्रदाह )
सिस्टस – एक डोरी में एक के बाद दूसरी गांठ लगा देने जैसा हो जाता है, ठीक उसी तरह गांठों का फूल जाना में इस दवा का उपयोग करें।
क्रम – 3x, 30 शक्ति।