पित्ताशय में रोग के कारण पत्थर के कण-से इकट्ठे हो जाते हैं जिन्हें पित्त की पथरी कहते हैं । इसके कारण थोड़ा-बहुत दर्द रहता है । यदि पथरी बड़ी हो और पितवाही नली में प्रवेश कर जाती है तो भयंकर पीड़ा होती हैं और पथरी के आँतों में पहुँचने तक यह दर्द रहता है । यह दर्द के नीचे से शुरू होता है और पूरे पेट, छाती में होते हुये दाँये हाथ व कन्धे । तक फैल जाता है । साथ ही यकृत में पीड़ा, यकृत का बढ़ जाना, नाड़ी क्षीण, वमन, पसीना अत्यधिक, दर्द की तीव्रता के कारण बेहोश तक ही जाना आदि लक्षण भी रहते हैं ।
चेलिडोनियम Q-पित्त की पथरी का दर्द, साथ में दाँये कन्धे के नीचे भी दर्द हो रहा हो तो इसे देना चाहिये ।
कल्केरिया कार्ब 30, 200- यह पथरी की प्रतिषेधक औषधि है । पित् की पथरी के दर्द में लाभ करती है | तीव्र दर्द के समय इसकी 30 शक्ति की 2-3 मात्रा देने से आराम मिल जाता है । 30 शक्ति से लाभ न होने पर 200 शक्ति में दें ।
चायना 6, 30-पित्त-पथरी में तीव्र दर्द, पित्त-पथरी की सभी अवस्थाओं में हितकारी है । रोजाना 2-3 मात्रायें देने से कुछ ही दिनों में लाभ होगा। कुछ अधिक दिन लेने पर फिर नयी पथरी नहीं बनेगी ।
बबॅरिस वल्गैरिस Q-पित्त-पथरी व मूत्र-पथरी- दोनों ही रोगों में पथरी बार-बार मूत्र-त्याग को जाने की इच्छा हो, दर्द मूत्राशय से शुरू होकर पैर की ओर उतर जाता हो तो देनी चाहिये । 8-10 बूंद की मात्रा में 25-30 मिनट के अन्तराल से दें ।
मेन्था पिपेरिटा 6x- अत्यधिक वायु एकत्र होने से होने वाला पित्त-शूल, पित्त की पथरी का दर्द, अत्यन्त कष्टदायक दर्द होने पर 15-20 मिनट के अन्तराल से दें ।। 4-5 मात्राओं से ही लाभ होगा ।
थ्लैस्पि बस पैस्टोरिस Q- पित्त-पथरी के रोग में इसका व्यवहार करने से पित्त पतला हो जाता है, पथरी गल जाती हैं तथा पित्त के निकलने की क्षमता भी बढ़ जाती है ।
काडुअस मेरिऐनस Q- पित्त-पथरी के तीव्र दर्द में यह लाभप्रद है । इसका नियमित सेवन करने से नई पथरी उत्पन्न नहीं हो पाती ।