शरीर के अन्य भागों की तरह ही हड्डियों में भी निरन्तर टूट फूट तथा पुनर्निर्माण की प्रक्रिया चलती रहती हैं, परन्तु एक उम्र के बाद यह प्रक्रिया थोड़ी धीमी पड़ जाती है। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद ईस्ट्रोजन नामक हारमोन बनना कम पड़ जाता है। यह हारमोन हड्डियों को मजबूत रखने में सहायक होता है। इसकी कमी से हड्डियों के पुनर्निर्माण में बाधा होती है और हड्डियाँ पतली और कमजोर हो जाती हैं।
ऐसा नहीं होता कि यह पुरुषों में न मिलता हो, परन्तु इसकी संख्या अपेक्षाकृत कुछ कम है। पुरुषों में भी ईस्ट्रोजन बनता है और उम्र के साथ उसका बनना कम होता है, परन्तु कुल मिलाकर उसका अनुपात टेस्टोइस्ट्रोन से अधिक ही रहता है।
यों तो यह आनुवांशिक नहीं होता, परन्तु चूंकि परिवार में मां-बेटी की शारीरिक बनावट लगभग एक-सी होती हैं और यदि मां पतली-दुबली है, तो प्राय: बेटी भी पतली होती है। तथा दोनों की हड्डियों की बनावट भी एक-सी होती है। अत: इसका परिवार में कई लोगों में मिलना सम्भव है।
यह कोई असाध्य रोग नहीं है। इसका इलाज सम्भव है। अपनी हड्डियों को मजबूत बनाए रखें। इसके लिए कैल्शियमयुक्त पदार्थ अधिक मात्रा में लें जैसे दूध, पनीर, हरी सब्जियाँ, सलाद, प्लोराइड की गोलियां, कैल्शियम की गोलियां ।
सूर्य की रोशनी, हलकी कसरत आदि हड्डियों को मजबूत होने में सहायक होती है।
अधिक समय तक बिस्तर पर पड़े रहने या शरीर की बहुत कम गतिविधि से भी हड्डियां कमजोर पड़ती जाती हैं। शराब, कुछ दवाएं, जैसे – हिपेरीन, थायरायड से सम्बन्धित रोग, हड्डियों के कुछ कैंसर, जैसे – ल्यूकेमिया में भी ऐसा मिलता है तथा कुछ चीजों से परहेज जैसे, सिगरेट, शराब।
हड्डी को मजबूत बनाएं होम्योपैथिक दवा से
‘कैल्केरिया फॉस‘ एवं ‘फेरमफॉस‘ औषधियां 6 × शक्ति में एवं ‘सिम्फाइटम‘ औषधि 30 शक्ति में दस-बारह दिन सेवन करने पर लाभ मिलता है।
‘कैल्केरिया फॉस‘ एवं ‘फेरमफॉस‘ औषधियां 3× या 6x शक्ति में बच्चों के दांत निकलते समय देने पर, बच्चों की बढ़वार अच्छी होती है एवं दांत निकलने के समय होने वाली परेशानियों जैसे, दस्त आदि से छुटकारा मिल जाता है।