यकृत में दर्द, सूजन व जलन होने की दशा को ‘यकृत-प्रदाह’ कहते हैं। किसी अन्य रोग के कारण, अनुचित खान-पान से,गर्म दवाओं का व्यवहार करने से यह रोग हो जाता है ।
एनैन्थिरम Q, 3, 6– यकृत में प्रदाह व सूजन, तीव्र दर्द, यकृत ट्यूमर की भाँति कड़ा हो तो इसे दें ।
मर्कसॉल 3x, 6x, 6, 30- यकृत का प्रदाह, यकृत में दर्द, यकृत का कठोर व बड़ा हो जाना, रात में दर्द बढ़े, दॉयी करवट से रोगी सो न पाये, शोथ व पीलिया के लक्षण हों तो यह लाभप्रद है ।
ब्रायोनिया 6, 30- यकृत वाली जगह पर सुई गड़ने की तरह दर्द हो, अकड़नयुक्त दर्द हो, जलन रहे, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द हो, दाँये कन्धे के नीचे स्कैपुला हड्डी के नीचे दर्द हो, यकृत में सूजन रहे, खाँसी उठने तथा साँस लेने पर दर्द बढ़े, स्वाद में तीतापन रहे, जली मिट्टी या जली हुई ईंट की तरह अत्यन्त सूखा व कड़ा मल आता हो तो यह दवा दें ।
स्टीलेरिया मेडिया Q, 2x- यकृत फूल गया हो व कठोर हो गया हो, यकृत में सुई बिंधने की भाँति दर्द हो, रोगी आक्रान्त स्थान को दबाने न दे, कीचड़ जैसे रंग का मल आता हो तो इसे देना चाहिये ।