वंशानुगत रोगों से तात्पर्य ऐसे रोगों से है जो किसी व्यक्ति के वंश में लगातार चलते रहते हैं । इस प्रकार के रोग प्रायः स्थायी प्रकृति के होते हैं । इस प्रकार के रोगों के उपचार के लिये दम्पति की दवायें दी जाती हैं ताकि उनकी संतान रोगग्रस्त न हो । यहाँ ऐसे ही कुछ प्रमुख रोगों का उपचार प्रस्तुत है ।
होंठ कटे बच्चे पैदा होना कल्केरिया सल्फ 12x- कुछ महिलायें ऐसी होती हैं जिनके उत्पन्न होने वाले बच्चों के होंठ कटे हुये होते हैं। इस प्रकार की महिला यदि पुनः गर्भवती हो तो उसे यह दवा प्रतिदिन सुबह-शाम के हिसाब से सातवें या आठवें माह तक देते रहना चाहिये ।
मोटे पर निर्बल बच्चे पैदा होना कल्केरिया कार्ब 200, 1M- यदि किसी परिवार में सदैव मोटे, थुलथुले, के बच्चे पैदा होते रहते हों तो आगे से इन समस्याओं से बचने के लिये गर्भवती महिला को इस दवा की उच्चशक्ति की केवल एक मात्रा पाँचवें माह में ले लेनी चाहिये । इससे जन्म लेने वाली संतान सामान्य होगी ।
कमजोर बच्चे पैदा होना कल्केरिया फॉस- यदि किसी दम्पति के सदैव कमजोर हड्डी वाले कमजोर बच्चे पैदा होते हों तो उन्हें यह दवा देनी चाहिये । स्थिति के अनुसार शक्ति का निर्धारण स्वयं करें । डॉ० पी० शंकरन का कहना है कि यह दवा गर्भपात होने से भी रोकती है । डॉ० मदनलाल सरहदी ने लिखा है कि जिन स्त्रियों के तीसरे या पाँचवें माह में गर्भपात होने की आशंका रहती है (वैसे सातवें माह में गर्भपात होना आम समस्या है) उन्हें यह दवा देने से यह आशंका समाप्त हो जाती है ।
मरे बच्चे पैदा होना सिमिसिफ्यूगा Q– ऐसी स्त्रियाँ जिनके यहाँ सदैव मरे हुये ही बच्चे पैदा होते हों या जन्म के पश्चात् मर जाते हों- उन्हें इस दवा की पाँच बूंद प्रतिदिन एक बार सुबह के समय के हिसाब से लगातार चौथे माह तक लेते रहनी चाहिये । साथ ही, कल्केरिया फॉस 12x भी लेनी चाहिये । इससे बच्चे जीवित पैदा होते हैं तथा स्वस्थ व दीर्घजीवी होते हैं ।
आठ मासे बच्चे पैदा होना कोलोफाइलम 30- कई स्त्रियों के आठवें माह में ही संतान उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसी सन्तानें प्राय: कमजोर होती हैं । ऐसी स्थिति में गर्भवती महिला को यह दवा सातवें-आठवें माह में प्रतिदिन सुबह के समय दें, इससे आठ मासे की समस्या दूर होगी और प्रसव भी सहज होगा । परन्तु प्रसव के कुछ दिनों पहले यह दवा बन्द कर दें ।
वंश में तपेदिक होना ट्यूबरक्युलिनम 200, 1M- यदि किसी परिवार के पुराने इतिहास में क्षय-रोग हो तथा पैदा होने वाले बच्चे क्षय-रोग संरचना का शरीर लिये पैदा होते हों तो ऐसी महिला को गर्भावस्था में किसी चिकित्सक की सलाह से इस दवा की केवल एक मात्रा ले लेनी चाहिए। इससे होने वाले बच्चों को क्षय रोग नहीं होगा और बच्चे की शारीरिक संरचना भी क्षय रोग ग्रस्त नहीं होगी ।